Updated on: 03 February, 2025 11:58 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
बसंत पंचमी पर अमृत स्नान का विशेष महत्व है। यह दिन ज्ञान, विद्या और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.
X/Pics, Maha Kumbh
आज बसंत पंचमी के पावन अवसर पर महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान संपन्न हुआ. देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पुण्य की डुबकी लगाई. आस्था, भक्ति और उत्साह से भरे इस स्नान पर्व में चारों ओर हर-हर गंगे और जय गंगा मैया के जयकारे गूंज रहे थे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
बसंत पंचमी विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की उपासना का पर्व है. इसे ऋतुराज बसंत के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है. इस बार बसंत पंचमी का संयोग महाकुंभ के तीसरे प्रमुख स्नान से जुड़ने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया. मान्यता है कि इस दिन अमृत स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
नागा संन्यासियों और संत समाज का दिव्य प्रवेश
तीसरे शाही स्नान की शुरुआत तड़के 4 बजे हुई, जब अखाड़ों के नागा साधुओं ने भव्य जुलूस के साथ संगम की ओर प्रस्थान किया. आकाश में शंखनाद और घंटियों की ध्वनि गूंज उठी. नागा संन्यासी, जो पूरी तरह भस्म में लिपटे होते हैं, उत्साहपूर्वक गंगा में डुबकी लगाते देखे गए. इसके बाद अन्य संन्यासी, महामंडलेश्वर, और विभिन्न अखाड़ों के संतों ने स्नान किया.
संगम तट पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी. भक्तगण सूर्योदय के साथ ही स्नान के लिए लंबी कतारों में खड़े रहे. दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने स्नान के पश्चात विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया. इस दौरान संगम तट पर भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का भी आयोजन हुआ.
व्यवस्था और सुरक्षा
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए थे. हजारों पुलिसकर्मियों और स्वयंसेवकों की टीम ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा का जिम्मा संभाला. घाटों पर विशेष निगरानी रखी गई ताकि कोई अनहोनी न हो.
इस पुण्य स्नान के साथ श्रद्धालुओं ने बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर ज्ञान, भक्ति और साधना का संकल्प लिया. आस्था, शुद्धता और उत्साह से ओतप्रोत यह अमृत स्नान कुंभ की दिव्यता को और अधिक बढ़ा गया.
महाकुंभ में यह तीसरा शाही स्नान अध्यात्म, आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम बन गया, जो हर भक्त के हृदय में एक अविस्मरणीय छवि छोड़ गया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT