Updated on: 17 March, 2024 08:12 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
सूर्य नमस्कार में कई आसन और मुद्राएं शामिल होती हैं,
सूर्य नमस्कार को नियमित रूप से प्राकृतिक और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति के लिए अभ्यास किया जाता है.
सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योग अभ्यास है जो सूर्य की पूजा और समर्पण के लिए किया जाता है. यह अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है. सूर्य नमस्कार का नाम भारतीय ज्योतिष और सूर्यदेव की पूजा में सम्मान के लिए उनका आभास होता है। इस अभ्यास को सुबह सूर्य उदय के समय किया जाता है, जब अवस्था शुद्ध और चित्त शांत होता है.
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सूर्य नमस्कार में कई आसन और मुद्राएँ शामिल होती हैं, जो शरीर की सक्रियता को बढ़ाते हैं. यहां सूर्यनमस्कार का एक सामान्य विधि दी जा रही है:
प्राणामासन (Pranamasana) - स्थितिगति में खड़ा होकर मुद्राएँ और प्रणाम करें.
हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana) - हाथों को ऊपर उठाकर आसन बनाएं और श्वास बाहर निकालें.
पादहस्तासन (Padahastasana) - हाथों को जमीन पर रखें और पैरों को पकड़ कर उच्च उत्तानासन बनाएं.
आश्वासन (Ashwa Sanchalanasana) - एक पैर को आगे बढ़ाएं और धनुरासन की पोज़ बनाएं.
पर्वतासन (Parvatasana) - श्वास बाहर निकालते हुए पीठ को ऊपर की ओर उठाएं और मुख को आदमी में लाएं.
अस्थांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara) - श्वास अंदर लेकर जल तट पर सम्पर्क करें और आठ अंगों को धरने वाली पोज़ बनाएं.
उर्व मुख श्वानासन (Urdhva Mukha Svanasana) - श्वास बाहर निकालें और शिशुआसन की पोज़ बनाएं.
अदो मुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana) - श्वास अंदर लेकर श्वानासन की पोज़ बनाएं.
आश्वासन (Ashwa Sanchalanasana) - दूसरे पैर को आगे बढ़ाएं और धनुरासन की पोज़ बनाएं.
पादहस्तासन (Padahastasana) - हाथों को जमीन पर रखें और पैरों को पकड़ कर उच्च उत्तानासन बनाएं.
हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana) - हाथों को ऊपर उठाकर आसन बनाएं और श्वास बाहर निकालें.
प्राणामासन (Pranamasana) - स्थितिगति में खड़ा होकर मुद्राएँ और प्रणाम करें.
सूर्य नमस्कार को नियमित रूप से प्राकृतिक और स्वस्थ शरीर की प्राप्ति के लिए अभ्यास किया जाता है. यह मानव शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बढ़ावा देता है और सूर्य की ऊर्जा को आपके अंदर स्थान देता है.
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