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World Health Day: एक्सपर्ट्स ने किया भारत में हेल्थ-केयर बजटीय आवंटन बढ़ाने का आग्रह

Updated on: 07 April, 2024 02:08 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

एक्सपर्ट्स ने कहा भारत गैर-संचारी रोगों, सांस से जुड़े रोगों और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जूझ रहा है.

रिप्रेजेंटेटिव इमेज/आईस्टॉक

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वर्ल्ड हेल्थ डे विश्व भर में हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस अवसर पर एक्सपर्ट्स ने कहा है कि भले ही भारत ने हाल के वर्षों में पोलियो पर असरदार तरीके जीत हासिल की है और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में कुछ प्रगति की है, लेकिन गैर-संचारी रोगों, सांस से जुड़े रोगों और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जूझ रहा है. सर गंगा राम अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष जे पी एस साहनी ने कहा, "भारतीयों के सामने आने वाली प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी बीमारियों की उच्च घटनाएं शामिल हैं. श्वसन संक्रमण और कुपोषण भी बढ़ रहा है." .


रिपोर्ट के मुताबिक फोर्टिस अस्पताल नोएडा के आंतरिक चिकित्सा निदेशक अजय अग्रवाल ने कहा, "तपेदिक, मलेरिया, हेपेटाइटिस आदि जैसी संक्रामक बीमारियाँ प्रचुर मात्रा में हैं और गैर-संक्रामक हैं, जैसे मधुमेह अपनी जटिलताओं के साथ, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारियाँ जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), और ब्रोन्कियल अस्थमा दूसरे स्पेक्ट्रम पर हैं." 



इनमें योगदान देने वाले सामान्य जोखिम कारकों में धूम्रपान, शराब का सेवन, खराब डाइट, शरीर की निष्क्रियता, प्रदूषण और आर्थिक असमानताएं भी शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट्स ने स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से लेकर क्षेत्रीय असमानताओं और अपर्याप्त जागरूकता पर भी अफसोस जताया जो इन चुनौतियों में योगदान देता है. सीके बिड़ला अस्पताल, दिल्ली में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक राजीव गुप्ता ने न्यूज एजेंसी से कहा कि देश में संक्रामक रोगों का एक बड़ा बोझ है, जिसमें एचआईवी, तपेदिक, मलेरिया, वेक्टर जनित रोग जैसे डेंगू बुखार और एन्सेफलाइटिस, और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और यकृत रोग शामिल हैं.


राजीव गुप्ता ने कहा, "इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को तत्काल स्वास्थ्य सेवा के लिए अपना बजटीय आवंटन बढ़ाने की जरूरत है." रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स में कहा कि भारत ने बेहतर प्रसव प्रथाओं, सार्वभौमिक टीकाकरण, बेहतर स्वच्छता, मध्याह्न भोजन और खाद्य सुदृढ़ीकरण के माध्यम से शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. डॉ. गुप्ता ने कहा, "हालांकि, अभी भी सुधार की गुंजाइश है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों का बढ़ता उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य को और बेहतर बनाने का वादा करता है."


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