Updated on: 23 August, 2025 04:25 PM IST | Mumbai
Aishwarya Iyer
मुंबई क्राइम ब्रांच ने अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह फर्जी लोन ऐप्स, निवेश योजनाओं और स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के ज़रिए लोगों को ठगता था.
सैकड़ों फर्जी दस्तावेज जब्त
मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह के 12 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों के अनुसार, गिरोह ने जाली दस्तावेज़ बनाए, सैकड़ों फर्जी बैंक खाते खोले और चीन, हांगकांग, दुबई और कई भारतीय राज्यों में कॉल सेंटरों के ज़रिए घोटाले किए.
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इस गिरोह पर देश भर में फर्जी लोन ऐप्स, फर्जी निवेश योजनाओं और फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के ज़रिए लोगों को ठगने और लगभग 60.62 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप है. इस गिरोह का काम ऑनलाइन लोन ऐप्स, निवेश योजनाओं और स्टॉक ट्रेडिंग घोटालों के ज़रिए लोगों से वित्त विशेषज्ञ, बैंक अधिकारी आदि जैसे कई भेष बदलकर संपर्क करना था.
ये गिरफ्तारियाँ 18 जून को अंधेरी, कांदिवली, ठाणे, डोंबिवली, कल्याण, अंबरनाथ, बदलापुर और पुणे में समन्वित छापेमारी के बाद हुईं. एक गुप्त सूचना के आधार पर, साइबर पुलिस ने कांदिवली पूर्व से तीन लोगों को हिरासत में लिया, जिनसे पूछताछ में विदेशी संचालकों के लिए फर्जी खाते और सिम कार्ड एक्टिवेशन से जुड़े एक बड़े धंधे का खुलासा हुआ. इसके बाद एक व्यापक कार्रवाई हुई और कुल 12 गिरफ्तारियाँ हुईं.
आरोपियों की पहचान महादेव पटेल, शुभम पासलकर, संजय गंगुर्डे, गणेश भिसे, अमोल माने, प्रशांत पाटिल, विनोद शिलेदार, विकास करांडे, अशोक पाटिल, नीलेश गावड़े, सौरभ थोम्ब्रे और वैभव पवार के रूप में हुई है. पुलिस ने बताया कि इनमें से ज़्यादातर लोग सीधे तौर पर दस्तावेज़ जालसाजी, खाता बनाने और सिम खरीदने में शामिल थे.
पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि गिरोह ने सामूहिक रूप से फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके 143 बैंक खाते खोले थे. ज़ब्त की गई सामग्री में 140 फ़र्ज़ी पैन कार्ड, 104 आधार कार्ड, 96 फ़र्ज़ी ड्राइविंग लाइसेंस, 484 डेबिट कार्ड, कई लैपटॉप, मोबाइल फ़ोन और अन्य तकनीकी व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए किया गया था. इन दस्तावेज़ों का इस्तेमाल सिम कार्ड हासिल करने के लिए किया गया था, जिन्हें बाद में भारत और विदेशों में कॉल सेंटर चलाने वाले अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटरों को सौंप दिया गया. इन्हीं दस्तावेज़ों से उन्हें बैंक खाते बनाने में भी मदद मिली, जिन्हें सामूहिक रूप से इन कॉल सेंटर चलाने वाले अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटरों को सौंप दिया गया.
क्राइम ब्रांच की यूनिट 2 के एक अधिकारी ने कहा, "इन सिम और खातों ने इंस्टेंट लोन ऐप्स, ज़्यादा रिटर्न वाली निवेश योजनाओं और ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को अंजाम दिया." पुलिस ने कहा कि आरोपी सिम एक्टिवेशन से ओटीपी विदेश में मौजूद हैंडलर्स को भेजते थे, जिससे वे खातों को नियंत्रित कर सकते थे और दूर से ही धोखाधड़ी को अंजाम दे सकते थे. बैंक पासबुक, पैन, आधार और ड्राइविंग लाइसेंस सहित जाली दस्तावेज़ों को हार्ड कॉपी के रूप में बड़े पैमाने पर तैयार किया जाता था और बैंक खाते खोलने के लिए बार-बार इस्तेमाल किया जाता था.
पुलिस को यह भी संदेह है कि गबन की गई धनराशि का एक बड़ा हिस्सा हवाला नेटवर्क के ज़रिए विदेशी ऑपरेटरों तक पहुँचाया गया, जिससे वित्तीय सुराग का पता लगाना मुश्किल हो गया. उनकी गिरफ्तारी और पहचान के बाद, पुलिस ने खुलासा किया कि भारत के 19 राज्यों में इस गिरोह के खिलाफ लगभग 333 मामले दर्ज हैं. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने इन मामलों की पहचान कैसे की, तो एक अधिकारी ने कहा, "साइबर अपराध पोर्टल पर दर्ज मामलों में मोबाइल नंबरों के साथ-साथ उन बैंक खातों का भी ज़िक्र है जहाँ पीड़ितों ने या तो पैसे ट्रांसफर किए या आरोपियों ने पैसे निकाले. ज़ब्त किए गए बैंक खाते और सिम कार्ड 333 दर्ज मामलों से मेल खाते हैं."
इस हफ़्ते 12 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जबकि अधिकारियों ने पुष्टि की कि इस व्यापक रैकेट के सिलसिले में पूरे भारत में कुल 92 आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है. शेष सदस्यों और उन मास्टरमाइंडों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे विदेशी कॉल सेंटरों से काम कर रहे हैं.
नागरिकों को चेतावनी
पुलिस ने नागरिकों से ऑनलाइन लोन ऐप, अनचाहे निवेश प्रस्तावों और धोखाधड़ी वाले ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म से सावधान रहने की अपील की है. उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि वे अज्ञात कॉल करने वालों के साथ ओटीपी, केवाईसी दस्तावेज या बैंकिंग विवरण साझा न करें.
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