Updated on: 03 July, 2025 09:28 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
उल्हासनगर के त्रिवेणीनगर में थोरात परिवार पर हुए हमले के 20 दिन बाद भी मुख्य आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. घटना को लेकर `कायद्याने वागा` आंदोलन के राज असरोंडकर ने समाज और पीड़ित परिवार से माफी मांगते हुए पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं.
राज असरोंडकर ने कहा, “मुझे दुख है कि मैंने थोरात परिवार को पुलिस पर भरोसा करने को कहा. आज मैं खुद को दोषी महसूस कर रहा हूं.”
उल्हासनगर के त्रिवेणीनगर इलाके में थोरात परिवार पर जानलेवा हमला हुए 20 दिन बीत चुके हैं. इस दौरान उनके घर पर पत्थरबाज़ी, गाली-गलौज, जान से मारने की धमकियां और रात में जबरन घुसने की कोशिश जैसे गंभीर अपराध किए गए. बावजूद इसके, पुलिस अब तक मुख्य आरोपियों को पकड़ने में नाकाम रही है. इस मामले को लेकर `कायद्याने वागा` आंदोलन के प्रमुख राज असरोंडकर ने थोरात परिवार से सार्वजनिक रूप से माफी मांगकर पूरे शहर को चौंका दिया है.
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राज असरोंडकर ने पुलिस उपायुक्त सचिन गोरे को दिए गए निवेदन में कहा, "मैं समाज में भय फैलाने वाले हर समाजकंटक की ओर से माफी मांगता हूं." उन्होंने उल्हासनगर में कानून व्यवस्था की खराब हालत और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर किया. उन्होंने बताया कि शुरू में पुलिस इस गंभीर घटना को ‘अदखलपात्र’ यानी गैर-गंभीर मामला मान रही थी. यदि वे साथ न होते, तो हल्की धाराओं में मामला दर्ज होता. पुलिस निरीक्षक अनिल पडवळ के हस्तक्षेप के बाद ही मामला गंभीर धाराओं में दर्ज हो सका.
इस हमले में तीन आरोपी शामिल थे, लेकिन पुलिस ने सिर्फ एक के खिलाफ मामला दर्ज किया. बाकी दो खुलेआम शहर की सड़कों पर घूम रहे हैं. जबकि घटना का वीडियो मौजूद है और उसमें तीनों आरोपी बाइक पर नजर आ रहे हैं. पुलिस ने अब तक न बाइक ज़ब्त की और न ही बाकी आरोपियों को नामजद किया.
बैठक में मनसे, प्रहार जनशक्ति, राष्ट्रवादी कांग्रेस सहित कई दलों के प्रतिनिधियों और पीड़ित थोरात परिवार के सदस्य मौजूद थे. सभी ने उल्हासनगर में गांजा सेवन, चेन स्नैचिंग और अपराधों में लिप्त युवकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
राज असरोंडकर ने कहा, “मुझे दुख है कि मैंने थोरात परिवार को पुलिस पर भरोसा करने को कहा. आज मैं खुद को दोषी महसूस कर रहा हूं.” पुलिस उपायुक्त ने भरोसा दिलाया कि आरोपी जल्द ही पकड़े जाएंगे. असरोंडकर ने कहा, “अब महाराष्ट्र में कानून का डर खत्म हो गया है, आम जनता को खामोशी से जीना सिखाया जा रहा है.”
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