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अक्षय ओबेरॉय ने बेटे को सिखाया बास्केटबॉल, कहा– `यह सिर्फ खेल नहीं, एक जीवन मूल्य है`

Updated on: 03 July, 2025 01:31 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

अभिनेता अक्षय ओबेरॉय ने अपने बेटे अव्यान को बास्केटबॉल सिखाने की जिम्मेदारी खुद उठाई है. अमेरिका में पले-बढ़े अक्षय का इस खेल से गहरा लगाव रहा है और अब भारत में वह चाहते हैं कि अव्यान भी बास्केटबॉल के ज़रिए टीमवर्क, अनुशासन और आत्मविकास के मूल्य सीखे.

Akshay Oberoi Pics

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अक्षय ओबेरॉय अब अपने बास्केटबॉल के शौक को एक खास मकसद में बदल रहे हैं, और अपने छोटे बेटे अव्यान को बास्केटबॉल खेलना सिखा रहे हैं. अमेरिका में जन्मे और पले-बढ़े अक्षय का बास्केटबॉल से हमेशा गहरा जुड़ाव रहा है. स्कूल में पढ़ाई के दौरान वह लगातार खेलते थे और आज भी यह खेल उनके दिल के बहुत करीब है.

अब भारत में रहते हुए, अक्षय चाहते हैं कि वह अपने बेटे अव्यान को सिर्फ इस खेल की तकनीक ही नहीं बल्कि इसकी स्पिरिट भी सिखाएं. भारत में भले ही बास्केटबॉल अभी ज़्यादा नहीं खेला जाता, पर अक्षय को उम्मीद है कि अगर वह अपने बेटे को छोटी उम्र में इस खेल से जोड़ेंगे तो उसके अंदर टीमवर्क, अनुशासन और खेल का आनंद लेने की भावना आ जाएगी, जैसा उन्होंने अपनी जिंदगी में अनुभव किया.


अक्षय ओबेरॉय कहते हैं, “बास्केटबॉल हमेशा से मेरी जिंदगी का हिस्सा रहा है. अमेरिका में मैं अपने दोस्तों के साथ रेगुलर खेलता था और उन पलों की यादें आज भी मेरे साथ हैं. अब जब मैं अव्यान को पूरे जोश और खुशी के साथ खेलते हुए देखता हूं, तो मुझे बहुत खुशी होती है. वह बहुत एक्टिव और एनर्जेटिक बच्चा है, और जब हम साथ खेलते हैं तो यह सिर्फ एक खेल नहीं रहता, यह हमारे बीच के रिश्ते को मज़बूत करने का एक तरीका बन जाता है. मैं चाहता हूं कि उसे भी इस खेल से उतना ही प्यार हो जाए जितना मुझे है.”


अक्षय अपने बिजी शेड्यूल में से समय निकालकर अव्यान के साथ बास्केटबॉल खेलने और सिखाने में बिताते हैं. उनके साथ खेलते हुए अक्षय गर्व और धैर्य के साथ उसे गाइड करते हैं. बास्केटबॉल कोर्ट पर उनके साथ बिताया गया समय सिर्फ एक पिता-पुत्र का रिश्ता नहीं, बल्कि उस खेल से जुड़ाव भी दिखाता है जिसने अक्षय की जिंदगी को आकार दिया.

अक्षय चाहते हैं कि अव्यान के इस खेल में बढ़ते इंटरेस्ट से भारत में भी बास्केटबॉल को लेकर जागरूकता बढ़े और अन्य माता-पिता भी अपने बच्चों को अलग-अलग खेलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करें.


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