Updated on: 22 March, 2025 09:38 AM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar
‘सरदार: द गेम चेंजर’ इतिहास और कहानी का एक बेहतरीन संगम है, जो पाठकों को यह बताती है कि किस तरह सरदार पटेल ने 565 रियासतों को एकजुट कर भारत के स्वतंत्रता संग्राम को सफलता की ओर अग्रसर किया.
गीता माणेक एकमात्र भारतीय लेखिका हैं, जिन्होंने अपने नाटक को तीन भाषाओं में स्वयं रूपांतरित किया है, जो उनके बहुमुखी रचनात्मक दृष्टिकोण और साहित्यिक उत्कृष्टता को दर्शाता है.
प्रसिद्ध लेखिका, नाटककार और पत्रकार गीता माणेक को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा हिंदी साहित्य में उनके असाधारण योगदान के लिए `लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार` से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान विशेष रूप से एक गैर-हिंदी भाषी लेखिका के रूप में हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के उनके अद्वितीय कार्यों को मान्यता प्रदान करता है. गीता माणेक की डॉक्यू-नॉवेल `सरदार: द गेम चेंजर` (हिंदी) को इस पुरस्कार के लिए प्रमुख रूप से सराहा गया, जो भारतीय इतिहास के महान नेता सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में भारत के एकीकरण की गाथा को सजीव रूप से प्रस्तुत करती है. इस पुस्तक का हिंदी संस्करण केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विमोचित किया गया था, जिसने इसे साहित्यिक और ऐतिहासिक परिदृश्य में विशेष स्थान दिलाया.
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‘सरदार: द गेम चेंजर’ इतिहास और कहानी का एक बेहतरीन संगम है, जो पाठकों को यह बताती है कि किस तरह सरदार पटेल ने 565 रियासतों को एकजुट कर भारत के स्वतंत्रता संग्राम को सफलता की ओर अग्रसर किया. इस कृति का प्रभाव साहित्य तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे दूरदर्शन पर 62 एपिसोड की टेलीविजन सीरीज़ के रूप में भी प्रस्तुत किया गया. गीता माणेक ने न केवल इस पुस्तक को लिखा, बल्कि सीरीज़ के लिए पटकथा और संवाद भी लिखे, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन हुआ. यह सीरीज़ प्रोड्यूसर के.सी. बोकाड़िया और राजेश बोकाड़िया द्वारा निर्मित की गई, जिसने सरदार पटेल की विरासत को लाखों दर्शकों तक पहुँचाया.
गीता माणेक का योगदान साहित्य, रंगमंच और पत्रकारिता में उल्लेखनीय है. उनके द्वारा लिखे गए नाटक ‘डॉ. आनंदीबाई लाइक, कमेंट, शेयर’ ने भारतीय रंगमंच में एक नया आयाम स्थापित किया है. यह नाटक भारत की पहली महिला चिकित्सक के जीवन पर आधारित है, और गुजराती, हिंदी, मराठी, तथा अंग्रेज़ी में मंचित किया गया है. इसे पृथ्वी थिएटर, एनसीपीए एक्सपेरिमेंटल और अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सवों में सराहा गया है.
उल्लेखनीय है कि गीता माणेक एकमात्र भारतीय लेखिका हैं, जिन्होंने अपने नाटक को तीन भाषाओं में स्वयं रूपांतरित किया है, जो उनके बहुमुखी रचनात्मक दृष्टिकोण और साहित्यिक उत्कृष्टता को दर्शाता है. यह पुरस्कार उनके समर्पण और उत्कृष्टता की एक और अभिव्यक्ति है, जो न केवल हिंदी साहित्य, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास को भी समृद्ध करता है.
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