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`स्वामी नारायण मंदिर को छुआ तो...` 100 साल पुराने मंदिर को तोड़ने पर आदित्य ठाकरे का धरना प्रदर्शन

Updated on: 22 May, 2025 08:48 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

आर्थर रोड स्थित 100 साल पुराने स्वामी नारायण मंदिर को तोड़ने के बिल्डर और बीएमसी के फैसले के खिलाफ आदित्य ठाकरे ने जोरदार धरना प्रदर्शन किया.

X/Pics, Aaditya Thackeray

X/Pics, Aaditya Thackeray

मुंबई के आर्थर रोड इलाके में स्थित 61 वर्ष पुराने स्वामी नारायण मंदिर को पुनर्विकास के दौरान स्थानांतरित करने के बिल्डर के प्रयासों के कारण स्थानीय लोगों में भारी विरोध शुरू हो गया है. यह मामला विले पार्ले के जैन मंदिर के पुनर्विकास विवाद के बाद चर्चा में आया है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह मंदिर उनके लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है और इसे स्थानांतरित करना सही नहीं होगा.

इस मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने स्थानीय लोगों से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि वे इस मामले में उनका समर्थन करेंगे. मीडिया से बातचीत के दौरान आदित्य ठाकरे ने बीएमसी और बिल्डर पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिर को तोड़कर नया भवन बनाने की साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा, “यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है, जो किसी भी तरह से निर्माण कार्य में बाधा नहीं है. इसके बावजूद बीएमसी और बिल्डर ने मंदिर समिति को नोटिस जारी किया है, जो बिलकुल गलत है. हम इस अहंकारी रवैये को बर्दाश्त नहीं करेंगे.”


आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने लिखा कि पुनर्विकास के लिए जगह पर्याप्त होने के बावजूद, बीएमसी ने बिल्डर को खुश करने के लिए पुराने लक्ष्मीनारायण मंदिर को तोड़ने की धमकी दी है. उन्होंने बताया कि यह मंदिर वर्ली के साने गुरुजी मार्ग पर स्थित है. उन्होंने आज मंदिर परिसर का दौरा किया और स्थानीय लोगों से बात की. उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यदि मंदिर को कोई नुकसान पहुंचाया गया तो बिल्डर को इसका आर्थिक नुकसान होगा.”


 


 

स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर को स्थानांतरित किए बिना ही पुनर्विकास किया जाना चाहिए ताकि उनकी आस्था और विरासत सुरक्षित रहे. वे इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि प्रशासन उनकी भावनाओं का सम्मान करे.

यह मामला फिलहाल काफी सुर्खियों में है और इसके संबंध में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना बाकी है. मुंबई के धार्मिक और सामाजिक संगठनों की भी इस विषय पर पैनी नजर है.

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