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मनसे नेता अविनाश जाधव स्कूल प्रशासन पर बरसे, तीसरी कक्षा में हिंदी सख्ती के प्रयास का किया विरोध

Updated on: 03 August, 2025 09:43 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

मनसे नेता अविनाश जाधव ने ठाणे के एक स्कूल में तीसरी कक्षा के छात्रों पर हिंदी भाषा थोपे जाने का आरोप लगाते हुए शिक्षा मंत्री से जवाब मांगा है.

X/Pics, MNS Adhikrut - मनसे अधिकृत

X/Pics, MNS Adhikrut - मनसे अधिकृत

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता अविनाश जाधव ने ठाणे के एक स्कूल में तीसरी कक्षा के छात्रों पर हिंदी भाषा थोपे जाने को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है. उन्होंने शिक्षा मंत्री से इस मामले पर तुरंत स्पष्टीकरण और कार्रवाई की मांग की है.

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब ठाणे के एक स्कूल में तीसरी कक्षा के छात्रों को हिंदी भाषा पढ़ाई जा रही थी, जबकि महाराष्ट्र सरकार की स्पष्ट घोषणा के अनुसार हिंदी विषय को पांचवीं कक्षा से लागू किया जाना था. मनसे नेता अविनाश जाधव ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की नीति के खिलाफ है और मराठी भाषी छात्रों पर हिंदी थोपने का प्रयास है.


इस मुद्दे से जुड़ा एक वीडियो "MNS Adhikrut - मनसे अधिकृत" नामक पार्टी के अधिकृत सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया गया है. वीडियो में अविनाश जाधव को स्कूल प्रशासन से इस विषय पर बात करते और उन्हें फटकार लगाते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने वीडियो के साथ एक तीखा संदेश भी लिखा है:


"सरकार ने भले ही कहा था कि पाँचवीं कक्षा से हिंदी पढ़ाई जाएगी, लेकिन ठाणे के एक स्कूल में स्कूल प्रशासन तीसरी कक्षा से हिंदी थोपने की कोशिश कर रहा था. पार्टी नेताओं और ठाणे ज़िला अध्यक्ष ने महाराष्ट्र के सैनिकों के साथ मिलकर स्कूल प्रशासन को उचित शब्दों में समझा दिया."

मनसे का आरोप है कि राज्य में मराठी भाषा और संस्कृति को धीरे-धीरे दबाने की कोशिश की जा रही है, जो अस्वीकार्य है. अविनाश जाधव ने स्पष्ट किया कि पार्टी किसी भी स्थिति में मराठी भाषा और उसकी गरिमा के साथ समझौता नहीं करेगी. उन्होंने शिक्षा मंत्री से मांग की कि वे इस स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करें और सुनिश्चित करें कि सरकार की भाषा नीति का पूरी तरह से पालन किया जाए.


इस घटनाक्रम के बाद स्थानीय स्तर पर भाषा नीति को लेकर चर्चा तेज हो गई है. कई अभिभावकों ने भी मनसे के रुख का समर्थन करते हुए स्कूल प्रशासन से पारदर्शिता और राज्य के निर्देशों का पालन करने की मांग की है.

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