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महाराष्ट्र विशेष पब्लिक सुरक्षा विधेयक पर पैनल को 12 हजार सुझाव मिले

Updated on: 25 May, 2025 12:18 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इस विधेयक का उद्देश्य नक्सलवाद पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यक्तियों और संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को रोकना है.

जयंत पाटिल. फ़ाइल चित्र

जयंत पाटिल. फ़ाइल चित्र

महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक पर चर्चा कर रही संयुक्त प्रवर समिति को अब तक "रिकॉर्ड" 12,000 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए हैं, इसके सदस्य और वरिष्ठ एनसीपी (एसपी) नेता जयंत पाटिल ने कहा. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस विधेयक का उद्देश्य नक्सलवाद पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यक्तियों और संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को रोकना है. 

रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में विधानमंडल के पिछले शीतकालीन सत्र में विधेयक को फिर से पेश किया, जिसके बाद इसे राज्य के राजस्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता वाली संयुक्त प्रवर समिति को भेज दिया गया. पाटिल ने कहा कि विपक्ष का रुख यह है कि इस तरह के विधेयक की आवश्यकता नहीं है. "(समिति को) 12,000 से अधिक आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए हैं, जो एक रिकॉर्ड है. हमने सुझाव दिया है कि सरकार को सामान्यीकरण नहीं करना चाहिए, और उसे विधेयक की शर्तों और उद्देश्यों पर विशिष्ट होना चाहिए. 


नक्सली और नक्सली गतिविधि की परिभाषा स्पष्ट होनी चाहिए," एनसीपी (एसपी) नेता ने कहा. उन्होंने कहा कि विधेयक से उन व्यक्तियों और संगठनों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए जो किसी मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए मोर्चा निकालना या विरोध प्रदर्शन आयोजित करना चाहते हैं. रिपोर्ट के अनुसार पारदर्शिता लाने के लिए, कानून में परिकल्पित अपील समिति का नेतृत्व एक मौजूदा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा किया जाना चाहिए, और अन्य दो सदस्य सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होने चाहिए. 


पाटिल ने बताया, "(संयुक्त चयन) समिति की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं. सरकार इस बारे में हमसे संपर्क करेगी कि विभिन्न हितधारकों के सुझाव और आपत्तियां तथा समिति के सदस्यों की सिफारिशों को लागू किया जा सकता है या नहीं. अगली बैठक 5 जून को निर्धारित है." रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में जब विधेयक को फिर से पेश किया गया था, तब फडणवीस ने इस बात पर जोर दिया था कि इसका उद्देश्य असहमति की वास्तविक आवाजों को दबाना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य केवल शहरी नक्सली ठिकानों को बंद करना है. 

विधेयक में गैरकानूनी गतिविधियों को हिंसा, बर्बरता या जनता में भय और आशंका पैदा करने वाले अन्य कृत्यों में शामिल होना या उनका प्रचार करना बताया गया है. इसमें कहा गया है कि आग्नेयास्त्रों, विस्फोटकों या अन्य उपकरणों के उपयोग में लिप्त होना या प्रोत्साहित करना, स्थापित कानून और उसके संस्थानों की अवज्ञा को प्रोत्साहित करना या प्रचार करना भी एक गैरकानूनी गतिविधि है. विधेयक के अनुसार, एक गैरकानूनी संगठन वह है जो किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में लिप्त होता है या दांव लगाता है या सहायता करता है, सहायता देता है या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करता है और ऐसे संगठन से जुड़ने पर तीन से सात साल की जेल की सजा और 3 से 5 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. 


फडणवीस ने कहा कि छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा (जो सभी वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं) ने ऐसे सार्वजनिक सुरक्षा कानून बनाए हैं और 48 फ्रंटल संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक 30 जून से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में पारित होने की उम्मीद है. भाजपा, शिवसेना और एनसीपी वाली सत्तारूढ़ महायुति को 288 सदस्यीय सदन में भारी बहुमत प्राप्त है.

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