Updated on: 13 November, 2024 03:39 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
हालांकि, इन तीनों पार्टियों को मराठी वोटर के अलावा गैर-मराठी वोटर पर भी निर्भर रहना पड़ेगा.
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में केवल एक सप्ताह बचा है, ऐसे में शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) दोनों ही मराठी मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही हैं. हालांकि, इन तीनों पार्टियों को मराठी वोटर के अलावा गैर-मराठी वोटर पर भी निर्भर रहना पड़ेगा, ऐसी स्थिति मुंबई समेत राज्य की 42 सीटों पर पैदा हो गई है. इन 42 सीटों पर 13 से 15 फीसदी गैर-मराठी मतदाता हैं, इसलिए सभी राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव में इन्हें अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं.
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2011 की जनगणना में पाया गया कि उत्तर भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मुंबई, ठाणे और पुणे सहित जिले; दक्षिण भारत में तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ गुजराती, सिंधी और उत्तर के राज्यों के नागरिकों की संख्या में वृद्धि हुई. 2001 से 2011 के बीच मुंबई में 45.23 लाख मराठी भाषी मतदाता थे, जो 2.64 प्रतिशत की कमी है. वहीं, हिंदी भाषी मतदाताओं की संख्या में 39.35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. यानी पहले हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या 35.98 लाख के मुकाबले 25.82 लाख थी. गुजराती मतदाता पहले के 14.28 लाख से थोड़ा बढ़कर 14.34 प्रतिशत हो गये.
महाराष्ट्र से मुंबई की ओर पलायन में कमी आई है एक सर्वेक्षण के अनुसार, 1961 में महाराष्ट्र से मुंबई की ओर पलायन करने वाले लोगों का प्रतिशत 41.06 प्रतिशत था, जो 2011 में बढ़कर 37.4 प्रतिशत हो गया है. इसके मुकाबले पहले उत्तर भारतीय राज्यों से 12 प्रतिशत लोग मुंबई आते थे, यह प्रतिशत बढ़कर 24 प्रतिशत हो गया.
1951 से 2024 तक के लोकसभा चुनावों में, मुंबई में चुने गए 100 संसद सदस्यों में से 43 गैर-मराठी हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या कांग्रेस से 26, भारतीय जनता पार्टी से 9 और बाकी अन्य दलों से हैं. मुंबई के भायखला, कोलाबा, सायन-कोलीवाड़ा, अंधेरी पूर्व, धारावी, मुलुंड, भांडुप, घाटकोपर और मानखुर्द निर्वाचन क्षेत्रों में गैर-मराठी मतदाताओं का यह प्रतिशत है. ठाणे जिले के ठाणे, कल्याण, उल्हासनगर और भिवंडी पूर्व निर्वाचन क्षेत्रों में गैर-मराठी मतदाताओं का इतना प्रतिशत है. नवी मुंबई के बेलापुर, ऐरोली और पनवेल निर्वाचन क्षेत्रों में गैर-मराठी मतदाताओं का इतना प्रतिशत है.
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