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मुंबई में तुषार गांधी के बेटे का नाम गलत, कार्यकर्ताओं ने की चुनाव आयोग की आलोचना

Updated on: 25 May, 2024 04:22 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

तुषार गांधी ने कहा कि उसकी जगह एक अपरिचित नाम लिख दिया गया था, जिसे वह याद नहीं कर पा रहे हैं.

मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद कार्यकर्ता. तस्वीर/कीर्ति सर्वे परेड

मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद कार्यकर्ता. तस्वीर/कीर्ति सर्वे परेड

शुक्रवार को, कार्यकर्ता और महात्मा गांधी के परपोते, तुषार गांधी ने कहा कि उनके बेटे की मतदाता पर्ची में परिवार का नाम नहीं था और उसकी जगह एक अपरिचित नाम लिख दिया गया था, जिसे वह याद नहीं कर पा रहे हैं. तुषार गांधी ने कहा, “नाम पूरी तरह गलत लिखा गया था; हम तो इसे पहचान ही नहीं सके. मुझे लगता है कि यह गजाधि था, लेकिन मैं इसे ठीक से याद नहीं कर पा रहा हूं``.

उन्होंने कहा कि उनके 30 वर्षीय बेटे का लिंग भी मतदाता पर्ची में गलत था. उन्होंने कहा, “उन्होंने पिछले चुनावों में मतदान किया है. यह पहली बार है जब ऐसा कुछ हुआ है``. परिवार में चार अन्य लोग मतदान कर रहे थे, अन्य तीन को इस अशुद्धि का सामना नहीं करना पड़ा. गांधी शहर में मतदान के दिन दुर्व्यवहार के मुद्दों को संबोधित करने के लिए सात कार्यकर्ता समूहों द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे. इनमें पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल), वोट फॉर डेमोक्रेसी, महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फोरम, लोक मोर्चा, बॉम्बे कैथोलिक सभा और भारत जोड़ो अभियान शामिल हैं. उन्होंने कहा, `ऐसा लग रहा था कि इस प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की गई है. बहुत से लोगों को अपने काम या घरों पर लौटना पड़ा`.



कार्यकर्ता समूहों ने चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुई कई पूर्व बैठकों का भी जिक्र किया जहां मौखिक आश्वासन प्रदान किए गए थे. बॉम्बे कैथोलिक सभा के फादर फ्रैज़र मैस्करेन्स ने कहा, “हमने इन बैठकों में संभावित लापता मतदाताओं का मुद्दा उठाया था. अधिकारियों ने हमें आश्वासन दिया था कि बूथों पर पीठासीन अधिकारी अनुरोध पर हटाई गई मतदाता सूची प्रदान करेंगे ”. अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी किरण कुलकर्णी ने कहा, "दिसंबर 2023 के बाद हटाए गए नाम वाले मतदाता पीठासीन अधिकारी के पास सूचीबद्ध होने पर भी मतदान कर सकते हैं." 



उन्होंने मतदाताओं को मतदान से एक महीने पहले यह जांचने और फिर से पंजीकरण कराने की आवश्यकता पर जोर दिया कि कहीं नाम छूट तो नहीं गया है. कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाना एसईसी की जिम्मेदारी है. कुलकर्णी ने कहा कि अगर लोग मर चुके हैं, स्थानांतरित हो गए हैं या अनुपस्थित हैं, बूथ अधिकारियों द्वारा तीन बार सत्यापित किया गया है तो नाम हटा दिए जाते हैं. इसके अलावा, सम्मेलन में मतदान करने वालों की वास्तविक संख्या बताने में चुनाव आयोग की अनिच्छा को भी उजागर किया गया. महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक का प्रतिनिधित्व करने वाले सलीम खान ने कहा, "किसे कितने वोट मिले जैसे डेटा के साथ, हमें यह जानना होगा कि कितने लोगों ने वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग किया. इसके बजाय चुनाव आयोग ने कहा कि यह हमारा जनादेश नहीं है. यह एक बहुत ही असामान्य स्थिति है."


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