Updated on: 15 September, 2024 09:59 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
राउत ने शिंदे गुट की संस्कृति पर भी निशाना साधते हुए कहा, "उनकी संस्कृति मिंधेन की सेना से आई है," जो उनके अनुसार शिवसेना की पारंपरिक नैतिकता और मूल्यों से मेल नहीं खाती.
इस घटना ने ठाणे की राजनीति में उबाल ला दिया है और शिवसेना के भीतर खींचतान और गहराई है, जिससे राजनीतिक माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया है.
ठाणे के आनंद आश्रम में 12 सितंबर 2024 को गणपति विसर्जन के दौरान एक विवादास्पद घटना घटी, जिसमें शिवसेना के शिंदे गुट के पदाधिकारियों द्वारा नोटों की बरसात की गई. यह घटना धर्मवीर आनंद दिघे साहब के आश्रम में हुई, जो शिवसेना के लिए एक प्रतिष्ठित स्थान है. पैसे उड़ाने की यह घटना सोशल मीडिया और स्थानीय समाचारों में तेजी से फैल गई, जिसके बाद इसे लेकर जनता और राजनीतिक हलकों में गहरी नाराजगी देखी गई. इस कृत्य के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई, लेकिन यह केवल बाहरी कदम माने जा रहे हैं.
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शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसकी कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा, "यह कार्रवाई महज एक दिखावा है. ठाणे जैसे समृद्ध शहर में आखिर क्या हो रहा है? ठाणे ने ही शिवसेना को सत्ता में पहुंचाया था, और आज उसी शहर में इस तरह की शर्मनाक घटनाएँ हो रही हैं. आनंद दिघे साहब ने इस शहर में लोगों को न्याय दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया था, लेकिन अब उसी पवित्र स्थान पर नोट ऐसे उड़ाए जा रहे हैं जैसे किसी लेडीज बार में. यह अत्यंत शर्मनाक और निंदनीय है."
संजय राउत ने शिंदे गुट पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने आनंद दिघे आश्रम पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है. "यह आपकी निजी संपत्ति नहीं है, यह शिवसेना की संपत्ति है. आनंद दिघे सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा और जनसेवा का प्रतीक हैं. उनकी विरासत को इस तरह से अपमानित करना न केवल ठाणे बल्कि पूरी शिवसेना के लिए अपमानजनक है," उन्होंने जोड़ा.
तुम्ही आनंद आश्रमात नोटा उधळल्या ….
— Kedar Dighe (@MiKedarDighe) September 13, 2024
दिघेसाहेबांच्या समाजसेवेचे पावित्र्य नष्ट केले…
आमचा आनंद हरपला ! @TV9Marathi @saamTVnews @zee24taasnews @abpmajhatv @lokmat @SaamanaOnline pic.twitter.com/C5xKkoaTvk
राउत ने शिंदे गुट की संस्कृति पर भी निशाना साधते हुए कहा, "उनकी संस्कृति मिंधेन की सेना से आई है," जो उनके अनुसार शिवसेना की पारंपरिक नैतिकता और मूल्यों से मेल नहीं खाती.
इस घटना ने ठाणे की राजनीति में उबाल ला दिया है और शिवसेना के भीतर खींचतान और गहराई है, जिससे राजनीतिक माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया है.
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