गणेश चतुर्थी, जो इस साल 27 अगस्त, 2025 को मनाई जाएगी, उससे पहले मुंबई के कई इलाकों में मूर्तियों की स्थापना की तैयारियां जोरों पर हैं. (Pics/Ashish Raje)
परेल, जो कि हर साल गणेश उत्सव की भव्यता के लिए जाना जाता है, वहां रविवार को माहौल पूरी तरह गणेशमय हो गया. ढोल-ताशों की गूंज, भक्तों के "गणपति बप्पा मोरया" के नारों और रंग-बिरंगे जुलूसों ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया.
इस खास दिन पर परेल से भगवान गणेश की कई मूर्तियां सड़क मार्ग के जरिए सूरत के लिए रवाना होती दिखाई दीं.
इन मूर्तियों को सजी-धजी ट्रकों पर ले जाया जा रहा था, जिनके चारों ओर भक्तों की भीड़ उमड़ रही थी. महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग – हर उम्र के लोग इन मूर्तियों के दर्शन करने सड़कों पर जमा हुए थे.
पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. ट्रैफिक को कुछ समय के लिए डायवर्ट किया गया ताकि मूर्तियों का काफिला बिना किसी व्यवधान के गुजर सके.
परेल से गुजरने वाली प्रमुख सड़कों पर श्रद्धालु फूल-मालाएं लेकर खड़े थे और गणपति बप्पा को प्रणाम कर रहे थे. इस साल की खास बात यह रही कि कई मूर्तियां पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बनाई गई थीं.
आयोजकों और मंडलों ने इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियों को प्राथमिकता दी, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया.
गणेश चतुर्थी की शुरुआत से पहले इस तरह का माहौल मुंबई में हर साल देखने को मिलता है, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की संख्या और उत्साह ने सभी पूर्ववर्ती वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए.
बप्पा के स्वागत में परेल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह इलाका गणेश भक्ति का सच्चा केंद्र है.
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