दिन भर सड़क पर चलने वाले दोपहिया और चारपहिया वाहनों को इन गड्ढों से बचते हुए रेंग-रेंग कर आगे बढ़ना पड़ा. (Pics/Satej Shinde)
कई चालकों ने अचानक ब्रेक लगाए, तो कुछ ने जोखिम उठाकर गड्ढों के बीच से रास्ता बनाने की कोशिश की. नतीजा – ट्रैफिक जाम, वाहनों को नुकसान, और सफर के हर मिनट में तनाव.
स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह हालात हर साल दोहराए जाते हैं, लेकिन फिर भी इस मार्ग पर टिकाऊ मरम्मत नहीं की जाती.
एलबीएस रोड जैसे महत्वपूर्ण मार्ग पर ऐसी बदहाली आम जनता के लिए एक स्थायी मुसीबत बन चुकी है.
इन गड्ढों का असर सिर्फ ट्रैफिक पर नहीं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा पर भी है. कई बार दोपहिया वाहन फिसलते हैं या असंतुलित होकर गिरते हैं.
खराब सड़कें न केवल दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं, बल्कि समय, ईंधन और ऊर्जा की भी बर्बादी कराती हैं.
मानना है कि सड़क की इस हालत के पीछे जल निकासी की कमी, घटिया सामग्री का इस्तेमाल, और नियमित निरीक्षण की अनदेखी जैसे कारण जिम्मेदार हैं.
तेज बारिश के कारण जब पानी दरारों में भरता है, तो वह सड़क की परतों को ढीला कर देता है और गड्ढों में तब्दील कर देता है.
समाधान के तौर पर विशेषज्ञ यह भी सुझाते हैं कि बेहतर मिश्रण डिज़ाइन, गुणवत्ता सामग्री, और समय पर मरम्मत को अपनाया जाए.
इसके साथ ही, मॉनसून से पहले सड़कों की पूर्व जांच और मरम्मत अनिवार्य की जाए ताकि शहर की रफ्तार रुके नहीं.
इस वक्त विक्रोली के एलबीएस मार्ग की सड़कें जनता से ज्यादा, जिम्मेदार अधिकारियों की परीक्षा ले रही हैं.
सवाल यह है कि क्या इस बार सिर्फ पैबंद लगाए जाएंगे या कोई स्थायी समाधान सामने आएगा?
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