मामला तब सामने आया जब मंगलवार को तालाब में तैरती मृत मछलियों की तस्वीरें वायरल हुईं. (PICS/ASHISH RAJE)
यह घटना पितृ पक्ष के दौरान हुई, जब हर साल बाणगंगा तालाब में अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं.
इस साल सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर को थी. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अनुष्ठानों के दौरान पानी में छोड़ा गया भोजन और अन्य सामग्री मछलियों के लिए घातक साबित हुआ.
स्थानीय निवासियों ने बीएमसी की नीतियों पर सवाल उठाए. उनका कहना है कि हर साल यह समस्या दोहराई जाती है, लेकिन जलीय जीवन और जल गुणवत्ता की सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति नहीं है.
पशु अधिकार कार्यकर्ता स्नेहा विसारिया ने कहा, "बीएमसी को सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुष्ठान इस तरह से संपन्न हों कि जलीय जीवन को कोई नुकसान न पहुँचे.
गणेश विसर्जन की तरह, अनुष्ठानों के लिए अलग कृत्रिम तालाब बनाए जा सकते हैं और बाद में जल और ‘निर्माल्य’ का वैज्ञानिक निपटान किया जा सकता है."
विसारिया ने यह भी सुझाव दिया कि तालाब के चारों ओर जालीदार बाड़ लगाई जाए ताकि कोई अनावश्यक वस्तु पानी में न फेंके.
बाणगंगा क्षेत्र के एक निवासी ने, नाम गुप्त रखने की शर्त पर, कहा, "पितृ पक्ष में विसर्जित वस्तुओं को नियंत्रित करना आवश्यक है.
हमें यह सोचना होगा कि क्या पुराने समय के घाट अब उसी उद्देश्य के लिए उपयुक्त हैं या नए समाधानों की आवश्यकता है."
इस घटना ने एक बार फिर नगर निगम की तैयारी और तालाबों में जलीय जीवन की सुरक्षा के महत्व पर सवाल खड़ा कर दिया है.
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