इस अवसर पर डेक्कन क्वीन के साथ-साथ एक और प्रतिष्ठित ट्रेन पंजाब मेल की सेवा वर्षगांठ भी मनाई गई. (PICS/ATUL KAMBLE)
हालांकि डेक्कन क्वीन को इस खास दिन पर बिना अपनी पारंपरिक डाइनिंग कार के चलाना पड़ा. रखरखाव के कारण डाइनिंग कार अनुपलब्ध थी, जिससे यात्रियों को राजधानी एक्सप्रेस की पेंट्री कार से सेवा दी गई.
डेक्कन क्वीन देश की एकमात्र यात्री ट्रेन है जिसमें विशेष डाइनिंग कार की सुविधा दी जाती है. इसमें टेबल सर्विस के साथ-साथ माइक्रोवेव ओवन, डीप फ्रीजर और टोस्टर जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होती हैं.
इसके अलावा, डाइनिंग कार में कुशन वाली कुर्सियां और कालीन से सजावट की जाती है, जिससे यात्रियों को एक विशिष्ट अनुभव प्राप्त होता है.
डेक्कन क्वीन की शुरुआत दो रेक के साथ हुई थी, जिनमें सात कोच होते थे. एक रेक चांदी के रंग में लाल बॉर्डर के साथ और दूसरा शाही नीले रंग में सोने की रेखाओं के साथ रंगा गया था.
इसके कोचों के अंडर फ्रेम इंग्लैंड में बनाए गए थे जबकि कोच बॉडी मुंबई के माटुंगा वर्कशॉप में तैयार की गई थी.
प्रारंभ में इसमें केवल प्रथम और द्वितीय श्रेणी की व्यवस्था थी, लेकिन समय के साथ बदलाव किए गए.
1 जनवरी 1949 को प्रथम श्रेणी को समाप्त कर द्वितीय श्रेणी को ही प्रथम श्रेणी के रूप में प्रस्तुत किया गया. बाद में जून 1955 में तृतीय श्रेणी की शुरुआत की गई, जिसे अप्रैल 1974 में द्वितीय श्रेणी के रूप में पुनः नामित किया गया.
1966 में डेक्कन क्वीन के कोचों को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, पेरम्बूर द्वारा निर्मित स्टील बॉडी वाले इंटीग्रल कोचों से बदला गया, जिनमें बेहतर सवारी अनुभव और नई आंतरिक सजावट दी गई थी.
कोचों की संख्या भी मूल 7 से बढ़ाकर पहले 12 और हाल ही में 16 कर दी गई है, जिससे यात्रियों को अधिक सुविधा मिल रही है.
95 वर्षों के गौरवशाली सफर में डेक्कन क्वीन ने भारतीय रेलवे की धरोहर के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है.
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