इस दौरान चॉल का माहौल भक्तिमय हो उठा. पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर आशा गवली खुद ‘लाज़िम’ खेलती हुई दिखाई दीं. (Pics/Ashish Raje)
ढोल-ताशों की गूंज और जयकारों के बीच माता की मूर्ति का स्वागत करते समय वहाँ मौजूद लोग भाव-विभोर हो उठे. यह अवसर इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि दगड़ी चॉल लंबे समय बाद ऐसी खुशी का साक्षी बनी है.
अरुण गवली, जिन्हें मुंबई का कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन कहा जाता है और बाद में एक राजनीतिक चेहरा भी बने, 17 साल की लंबी कैद काटने के बाद हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से अपने घर लौटे हैं.
इस कारण इस बार अंबेमाता की मूर्ति का स्वागत गवली परिवार और समर्थकों के लिए विशेष महत्व रखता है.
स्थानीय निवासियों और गवली समर्थकों का कहना है कि नवरात्रि के पहले ही दिन इस तरह के माहौल ने पूरे इलाके को उत्साह और भक्ति से भर दिया है.
दगड़ी चॉल में हर साल नवरात्रि का पर्व पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है, लेकिन इस बार का जश्न खास है क्योंकि इसमें भावनाओं का रंग भी शामिल है.
आशा गवली ने मूर्ति स्वागत के दौरान कहा कि मां दुर्गा की कृपा से सबके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आए. उन्होंने इस आयोजन को महिला शक्ति और भक्ति का प्रतीक बताया.
दगड़ी चॉल का यह नवरात्र महोत्सव आने वाले दिनों में और भी भव्यता के साथ मनाया जाएगा. देवी की स्थापना से लेकर अष्टमी और नवमी तक विशेष आयोजन होंगे.
स्थानीय लोग मानते हैं कि इस बार का नवरात्र दगड़ी चॉल के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा.
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