रेपोन शेख जब 15 साल के थे तब से उन्होंने बॉडीबिल्डिंग के लिए जिम जॉइन किया और यहाँ ही उनका परिचय पॉवरलिफ्टिंग से हुआ.
उन्होंने कहा, "मेरी जिम फीस 300 रूपर थी शुरुआत में मैं थोड़ा-थोड़ा वजन उठा पाया और मेरी बॉडी प्रोग्रेस करती गई मेरा बेस स्ट्रॉन्ग हो गया था तो वहां पर एक सर जो मुझे रोज मेहनत करते हुए देखते थे वो राष्ट्रीय स्तर के पावरलिफ्टर है. वह मुझे देखते थे कि यह बच्चा कौन है जो लगन से जिम कर रहा है तो एक दिन मैं एक्सरसाइज करते हुए गिर गया तो वहां मौजुद लोग हंसने लगे और मेरी तरफ देखने लगे जैसे कि लोग अक्सर करते हैं तब वह बात मुझे बेहद बुरी लगी और सर ने देखा और तब उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या तुम पावर लिफ्टिंग करोगे. मुझे अंदाज़ा नहीं था कि यह क्या होता है तो मैंने सर से पूछा कि हां क्या होता है तो उन्होंने "स्क्वॉयरबेंज, स्क्वाट और लिफ्ट" होता है तो उन्होंने मुझे बताया कि जिम में वार्षिक वार्षिक प्रतियोगिता होती है और मुझसे पूछा कि क्या खेलोगे और मैंने हां कह दिया वह मेरे जीवन का पहला पॉवरलिफ्टिंग प्रतियोगिता थी यह बात थी नवंबर 2019 की प्रतियोगिता में मैं तीन बार ब्लैकआउट हो गया था और पहले लेकिन मैंने फिर सिल्वर मेडल जीता था जो कि मेरा पहला मैडल था और इस तरह मेरी पॉवरलिफ्टिंग शुरू हुई".
उसके बाद अगले साल को कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और 1 साल तक जिम बंद रहे और साल 2021 में वापस जब जिम पहुंचा और मैंने फिर से प्रैक्टिस शुरू की इन 1 साल में मेरी बॉडी काफी लीन हो गई थी लेकिन मुझे पॉवरलिफ्टिंग के लिए आगे बढ़ना था तो मैंने फिर से शुरुआत की और उस समय प्रोटोकॉल के हिसाब से केवल 45 मिनट एक्सरसाइज कर सकते थे और यह वर्ष मेरे लिए एक अच्छी शुरुआत लेकर आया क्योंकि इस बार भी वार्षिक प्रतियोगिता में पहले से बेहतर करते हुए अपने जीवन का किसी भी तरह प्रकार का पहला गोल्ड मेडल जीता था.
लेकिन मेरी कहानी में एक मोड़ तब आया जब मेरे जिम के मालिक ने अपने जिम के लिए मेरा इस्तमाल किया वह स्टेट और शहर में होने वाले कॉम्पिटिशन के बारे में जानते थे और इसके लिए उन्हें मुझे भेजा था, नाम केवल जिम का होता था लेकिन फीस और सारी तैयारी हमें ही करनी होती थी तो ऐसे में उनके जिम के नाम पर मेडल जीतता रहा उसके बाद मैंने मुंबई सब-अर्बन के दो-तीन मेडल जीते और मैं मेरे जिम के मालिक से पूछता रहा कि राज्य स्तर पर कैसे खेलना है लेकिन हो लेकिन वह टालते रहे हैं क्योंकि वह यहीं चाहते थे कि मैं उनके जिम के नाम से खेलता रहा हूं. साल 2022 में मैं नेशनल के लिए क्वालिफाई कर गया जो कानपुर में था लेकिन मैं नहीं जा सका. अन्य घरेलू समस्याएं भी थी केवल इतना ही नहीं उसे समय मेरी अम्मी ने गहना भी भेजा था ताकि मैं अपनी पहली नेशनल पॉवरलिफ्टिंग कर सकूं लेकिन अग्नि वीर के खिलाफ चल रहे विरोध के कारण मैं वहां नहीं पहुंचा.
इसके बाद में बेहद उदास हो गया और एक दिन मैंने अपने जिम के मालिक से कहा, क्योंकि वह अपनी जिम के प्रचार के लिए मेरी तसवीरें इस्तेमाल करते थे, तो मैंने उनसे कहा कि वह मुझे स्पॉन्सर कर ले तो उन्होंने कहा कि नहीं हमारा हमारा जिम स्पॉन्सर नहीं करता है तब मुझे समझ आ गया की वह सिर्फ मेरा इस्तमाल कर रहे हैं अपने जिम को बढ़ाने के लिए और तब हमारी बहस हो गई उसके बाद वाह अपने जिम में कुछ नए इक्विपमेंट लाए थे तो मैंने उनसे कहा कि क्या मैं उनका इस्तेमाल कर सकता हूं तो उन्होंने मेरे सामने शर्त रखी कि अगर तुम जिम के लिए पीआर करोगे तो उनका इस्तमाल कर सकते हो.
एक दिन मैंने बिना उन्हें बताए उनमे से एक इक्विपमेंट का इस्तेमाल कर लिया तो उन्होंने मुझे सीसीटीवी दिखा कर कहा कि तुमने इसका इस्तमाल किया है एक तरह से वह मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर प्रचार कराना चाहते थे लेकिन मैंने हार नहीं मानी और मैंने ऑनलाइन सर्च करके पता किया कि जिला स्तरीय प्रतियोगिता कहां हो रही है जिसके बाद मुझे समझ आया कि मैं नवी मुंबई की ओर से खेल सकता हूं और मैंने उसके लिए आवेदन किया और हां यहां मैंने डिस्ट्रिक्ट लेवल पर गोल्ड जीता और स्टेट लेवल के लिए क्वालिफाई कर गया. इसके बाद मैं चर्चगेट में जिमखाने सचिवालय में पॉवरलिफ्टिंग के लिए गया वहां पर मुझे वापस मेरे जिम के मालिक मिले और वह मुझे देखकर उल्टा सीधा कहने लगे क्योंकि उनका ईगो हर्ट हो गया था वह मुझे यहां तक बोलने लगे कि तुम दो-तीन मेडल जीत कर खुद को स्टार समझने लगे हो लेकिन मैंने उनकी बातों का बेहद शालिनता से जवाब दिया उन्हें लगा था कि मैं उनसे माफी मांगने आया हूं लेकिन उन्हें पता नहीं था कि मैं स्टेट लेवल के लिए खेलने आया हूं. मैं उस साल 2022 में महाराष्ट्र का स्टेट चैंपियन बन गया.
इसके बाद मेरे सामने लक्ष्य था कि अब मैं नेशनल के लिए जाऊं लेकिन यह बहुत मुश्किल था इसके लिए बहुत सारा फंड लगेगा तो मैं एक लोकल राजनेता के पास गया सपोर्ट के लिए। वह अच्छे थे उन्होंने एमबीएमसी को एक पत्र लिखा जिसके बाद मुझे बेस्ट स्पोर्टपर्सन का अवॉर्ड भी मिला लेकिन कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली जिसकी मुझे बेहद जरूरत थी.
मैं वापस उनके पास गया और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं जिम के मालिक से माफ़ी मांग लूं लेकिन जब मैंने उन्हें समझाया कि मेरी कोई गलती नहीं थी तो उन्हें लगा कि बच्चा सच बोल रहा है और इसकी कोई गलती नहीं है फिर उन्होंने मेरी छोटी सी आर्थिक मदद भी की लेकिन वह मेरे लिए काफी नहीं थी उसके बाद मेरे पिता की कुछ सेविंग्स जिसकी सहायता से मैं आगे बढ़ा लेकिन मुझे अपनी शुरुआत में फिर से स्थानीय राजनीति का सामना करना पड़ा क्योंकि जहां अभ्यास करने गया वहां मैं अकेला था मेरा कोई कोच नहीं था. मैंने डिस्ट्रिक्ट और स्टेट में कोच के बिना ही खेला था और नेशनल के लिए भी मैं बिना कोच के ही जा रहा था. नेशनल की तैयारी के लिए मैं चेन्नई गया वहां पर मैं अकेला था और वहां के जो कोच थे उनकी अपनी एक टीम थी तो जब हम नेशनल के लिए जा रहे थे तो मैंने उनसे कहा कि वह मुझे साथ लेकर चले तो उन्होंने कहा हम फ्लाइट से जा रहे हैं तो मैंने कहा कि मैं फ्लाइट का खर्चा नहीं उठा सकता मैं ट्रेन से जाऊंगा जिस ट्रेन से मैं जा रहा था मैंने देखा कि उसी ट्रेन के कोच में वही कोच और उनकी टीम भी थी वह मुझे देखकर शॉक हो गए और इस तरह मुझे उनके झूठ का पता भी चल गया.
राष्ट्रीय खेल के एक दिन पहले ही मुझे हेल्थ की दिक्कत हुई और मेरा वजन 68 किलो से 64 किलो हो गया लेकिन अगले दिन खेल की शुरुआत से पहले मुझे थोड़ा वक्त मिला और मैंने अपनी बॉडी को रिकवर किया लेकिन चुनौतियां नहीं खत्म हुई वहां भी मेरे साथ धोखाधड़ी हुई खेलते हुए हाथ थोड़े जोर से आगे चला गया और इसी के साथ मेरे हाथ से गोल्ड फिसल गया और प्रतिस्पर्धा में मुझे सिल्वर मेडल मिला इसके बाद मैं महाराष्ट्र के प्रतिनिधि के पास गया लेकिन उन्होंने बोला मैं नया आया हूं तो कुछ बोल भी नहीं सकता था वहां लोगों ने बोला कि नहीं तुम्हारी ही गलती थी. प्रतियोगिता में जो पहले आया था वह उड़ीसा से था और मैं दूसरा आया था जो महाराष्ट्र से था और जो तीसरा आया था वह असम से था. मेरे पास वीडियो भी था जिसमें आप देख सकते हैं जिसे देख आपके समझ में आएगा कि हां मुझे ही जीतना चाहिए था लेकिन मैं खुश था कि मैंने पहली बार नेशनल में कुछ तो जीता और हां मेरे लिए गर्व की बात थी कि पॉवरलिफ्टिंग में मैं मेडल लेकर आया था लेकिन जब मैं वापस आया तो पहले की तरह ना मेरा कोई सम्मान हुआ ना कोई पुरस्कार दिया गया। जिसके बाद मैंने एक राजनेता महिला से संपर्क किया तो उन्होंने मुझसे कहा कि एक एप्लीकेशन डाल दो आवेदन के बाद एक साल बाद मुझे एक 25000 रूपए का कैश प्राइस दिया गया जिसे मैंने पावर लिफ्टिंग आगे बढ़ाने के लिए एक बड़े जिम में सदस्यता ली लेकिन परिवार की वित्तीय स्थिति अच्छी न होने की वजह से मुझे पॉवरलिफ्टिंग को बीच में छोड़ना पड़ा और मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहा था लेकिन फिर मैंने हिम्मत करके कोशिश की और राज्य स्तर पर खेला और ओवरऑल ब्रॉन्ज मेडल जीता, यह मेरा आखिरी खेल था जिसके बाद वित्तीय संकट था, जिस वजह से मैं आगे नहीं खेल पाया और मुझे पॉवरलिफ्टिंग बंद करनी पड़ी उसके बाद आगे सब कुछ सही जा रहा था साल 2024 में वित्तीय संकट की वजह से मुझे पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी और मैंने कुछ राजनेताओं से संपर्क भी किया लेकिन कोई खास नतीजा नहीं आया सभी टालते रहे और उसके बाद मैंने में एक जिम ट्रेनर के रूप में काम शुरू किया ताकी मैं अपने घर के खर्चे में कुछ मदद कर सकूँ.
आज भी मैं पावरलिफ्टिंग में देश में टॉप 10 पर हूं, लेकिन फिर भी मेरी मेरी कोई पहचान नहीं है, मैं यही कहना चाहता हूं कि मुझे थोड़ा सा सपोर्ट मिला तो मैं राज्य और देश दोनों को गर्व महसूस कराऊंगा, मैं अक्सर मिलने पर पूरी मेहनत से अपने और देश के नाम को रोशन करूंगा. पॉवरलिफ्टिंग सीखते हुए मैंने बहुत उतार-चढ़ाव देखे, इसने बहुत कुछ सिखाया है बहुत सारे लोगों से मिला और जीवन के बारे में भी इस खेल ने मुझे काफी कुछ सिखाया है और मैं इसके साथ ही आगे बढ़ना चाहता हूं और और मुझे आज बोलने का अवसर मिला है तो मैं चाहूंगा कि आप मेरी आवाज सुनें और मैं चाहता हूं कि मैं अपने देश अपने राज्य अपने शहर और अपनी माता पिता के लिए अधिक से अधिक पदक जीतूं.
यह प्रतिभाशली एथलीट पॉवरलिफ्टर रेपोन शेख के जीवन का वह अध्याय है जिसमें उन्होंने अपनी प्रतिभा से काफी हद ऊंचाई को छुआ लेकिन लोकल पॉलिटिक्स, अवसरवादी लोगों और वक्त और हालत के सामने पॉवरलिफ्टर से जिम ट्रेनर बनने पर मजबूर हुए लेकिन इस युवा एथलिट ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और पूरी लगन से पॉवरलिफ्टर के तौर पर एक बड़ी जीत के लिए अवसर पाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.
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