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दिल्ली में शख्स बना `डिजिटल अरेस्ट` का शिकार, 31 लाख रुपये की ठगी में चार गिरफ्तार

Updated on: 25 May, 2025 01:01 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

लगभग एक साल तक चली जांच में कई राज्यों में जांच की गई, जिसकी शुरुआत शिकायत दर्ज कराने के बाद हुई.

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली पुलिस ने एक जापानी कंपनी के मैनेजर से 31 लाख रुपये से अधिक की ठगी करने के आरोप में चार ऑनलाइन जालसाजों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार लगभग एक साल तक चली जांच में राजस्थान, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली सहित कई राज्यों में जांच की गई, जिसकी शुरुआत मई 2024 में जापानी फर्म के मैनेजर राहुल इकबाल द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद हुई. इकबाल को कूरियर सेवा प्रतिनिधि के रूप में खुद को पेश करने वाले एक व्यक्ति का फोन आया. कॉल करने वाले ने आरोप लगाया कि इकबाल द्वारा ताइवान भेजे गए पार्सल में पासपोर्ट और ड्रग्स जैसी अवैध चीजें थीं और शिकायत को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच को भेज दिया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक इसके तुरंत बाद, एक अन्य व्यक्ति ने पुलिस अधिकारी बनकर उससे संपर्क किया. कॉल करने वाले ने खुद को सब-इंस्पेक्टर नरेश गुप्ता बनर्जी बताया और इकबाल पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद सहित गंभीर अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाया. इकबाल पर गिरफ्तारी से बचने और दूसरों से संपर्क तोड़ने के लिए स्काइप पर ‘जांच’ में शामिल होने का दबाव डाला गया. कॉल के दौरान, घोटालेबाजों ने संवेदनशील वित्तीय और व्यक्तिगत जानकारी निकाली और उसे ‘सत्यापन’ प्रक्रिया के तहत नकली RBI खातों में 30.85 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए राजी कर लिया.


मामला उत्तर पूर्वी दिल्ली के साइबर पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 419, 420, 120B और 109 के तहत दर्ज किया गया था, जिसकी जांच सब-इंस्पेक्टर अनुपलता यादव ने की थी. रिपोर्ट के अनुसार जांच में पता चला कि घोटाले की गई राशि में से 20.10 लाख रुपये फर्जी दस्तावेजों जैसे कि UDYAM पंजीकरण, MSME प्रमाणपत्र और नगरपालिका लाइसेंस का उपयोग करके एक काल्पनिक इकाई ‘सतीश ट्रेडर्स’ के नाम पर खोले गए पंजाब नेशनल बैंक खातों में डाले गए थे. यह खाता झारखंड के 34 वर्षीय सतीश कुमार सिंह से जुड़ा था, जिसे बाद में दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया. माना जाता है कि सिंह इसका मुख्य लाभार्थी है, जिसने कथित तौर पर फर्जी खातों के माध्यम से करीब 2 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं. उसकी गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन और सिम कार्ड जब्त किए.


आगे की जांच में एक संगठित नेटवर्क का पता चला जिसने डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले के माध्यम से प्राप्त धन को लूटने के लिए नकली चालू खाते बनाए. सिरसा से तीन अतिरिक्त संदिग्धों को पकड़ा गया, जिनमें दो धोखाधड़ी करने वाले खाताधारक और इन खातों को सोर्स करने के लिए जिम्मेदार एक व्यक्ति शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने तब से समझौता किए गए खातों को फ्रीज कर दिया है, और अदालत के निर्देशों के तहत, शिकायतकर्ता को 11.5 लाख रुपये वापस कर दिए हैं. अधिकारियों ने घोटाले के गिरोह का हिस्सा माने जाने वाले कई और संदिग्धों का पीछा करना जारी रखा है, और लगातार ऑपरेशन चल रहे हैं.


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