Updated on: 22 August, 2025 01:47 PM IST | Mumbai
बेस्ट पटपेढ़ी चुनाव में शशांक राव पैनल ने 21 में से 14 सीटों पर कब्ज़ा जमाकर बड़ी जीत दर्ज की. महायुति समर्थित सहकार समृद्धि पैनल को 7 सीटें मिलीं, जबकि ठाकरे गुट खाली हाथ रह गया.
X/Pics, Aaditya Thackeray
बेस्ट पटपेढ़ी चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर मुंबई की राजनीति को गर्मा दिया है. इस चुनाव में शशांक राव पैनल के उम्मीदवारों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 21 में से 14 सीटों पर कब्ज़ा जमाया. महायुति समर्थित सहकार समृद्धि पैनल को मात्र 7 सीटों से संतोष करना पड़ा. वहीं, ठाकरे गुट को इस बार एक भी सीट हासिल नहीं हुई, जिससे उनके खेमे में मायूसी साफ झलक रही है.
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नतीजों के बाद शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, लेकिन उनकी लड़ाई खत्म नहीं होगी. आदित्य ठाकरे का आरोप है कि भाजपा और महागठबंधन सरकार मिलकर बेस्ट को कमजोर करने और खत्म करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, “हमने पहले भी साफ किया था कि बेस्ट मुंबईकरों के लिए जीवनरेखा है. लेकिन भाजपा इसे धीरे-धीरे खत्म करने की साजिश कर रही है. चुनाव में हार-जीत मायने नहीं रखती, हमारी आवाज़ हमेशा बुलंद रहेगी.”
बेस्टला संपवण्याचा प्रयत्न राज्य सरकार, भाजप करत आहे. pic.twitter.com/grmJ3CY6rh
— ShivSena - शिवसेना Uddhav Balasaheb Thackeray (@ShivSenaUBT_) August 22, 2025
शशांक राव पैनल की जीत को स्थानीय राजनीति में बड़ा संकेत माना जा रहा है. 14 सीटें जीतकर इस पैनल ने यह साबित कर दिया है कि बेस्ट कर्मचारियों और सदस्यों का भरोसा अभी भी उन्हीं के साथ है. महायुति के लिए यह नतीजा किसी झटके से कम नहीं है, क्योंकि उन्होंने चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकी थी.
दूसरी ओर, ठाकरे गुट की करारी हार ने राजनीतिक गलियारों में सवाल खड़े कर दिए हैं. आदित्य ठाकरे ने हालांकि इस हार को महत्वहीन बताते हुए अपनी राजनीति को सिर्फ चुनाव नतीजों तक सीमित न करने का संदेश देने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि बेस्ट सिर्फ एक संस्था नहीं बल्कि मुंबई की धड़कन है, और भाजपा इसे निजी हाथों में सौंपना चाहती है.
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बेस्ट पटपेढ़ी चुनाव का असर आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों पर भी पड़ सकता है. शशांक राव पैनल की जीत से जहां उनकी पकड़ मज़बूत हुई है, वहीं भाजपा और महायुति को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा. ठाकरे गुट के लिए यह हार जरूर झटका है, लेकिन आदित्य ठाकरे की आक्रामक प्रतिक्रिया बताती है कि वे अभी पीछे हटने वाले नहीं हैं.
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