Updated on: 20 January, 2025 01:04 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने नासिक और रायगढ़ जिलों के पालकमंत्री पदों की नियुक्ति स्थगित करने पर सरकार की आलोचना की.
X/Pics, Aaditya Thackeray
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने नासिक और रायगढ़ जिलों के पालकमंत्री नियुक्ति स्थगन पर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए. ठाकरे ने इस अप्रत्याशित फैसले को न केवल जनता के साथ अन्याय बताया, बल्कि इसे महाराष्ट्र के प्रशासनिक तंत्र पर सीधा हमला करार दिया.
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आदित्य ठाकरे ने अपनी पोस्ट में लिखा, “नासिक और रायगढ़ जिलों के पालकमंत्री पदों की घोषणा ऐन वक्त पर स्थगित कर दी गई. आखिर यह क्या चल रहा है? मुख्यमंत्री के विदेश दौरे के दौरान इस तरह के निर्णय पर रोक लगाना अजीब है. यह उन मंत्रियों का अपमान है जिन्हें पहले से नियुक्त किया गया था.”
उन्होंने सरकार के अंदरूनी खींचतान को उजागर करते हुए कहा कि अब ‘सह-संरक्षक मंत्री’ जैसी नई अवधारणाएं पेश की जा रही हैं, जो सरकार की अस्थिरता और गुटबाजी का प्रमाण हैं. ठाकरे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मंत्री पद मिलने के बावजूद कुछ स्वार्थी नेता मुख्यमंत्री पर दबाव बना रहे हैं और जनता की सेवा से अधिक बंगलों और पदों की लालसा में लगे हैं.
उन्होंने सीधे-सीधे सवाल उठाया कि इतनी बड़ी संख्या में मंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद मुख्यमंत्री दबाव क्यों झेल रहे हैं? क्या कुछ लोग सरकार पर हावी होकर अपने स्वार्थ की रोटियां सेंक रहे हैं? क्या यही महाराष्ट्र की राजनीति का नया पैटर्न बन गया है?
बीड और परभणी जिलों के हालात पर भी ठाकरे ने सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि इन जिलों के लोग न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार का ध्यान केवल मंत्रियों की आपसी खींचतान में लगा है.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "मंत्री अपना स्वार्थ साधने में व्यस्त हैं, मुख्यमंत्री अपमान सह रहे हैं और महाराष्ट्र की जनता ठगी महसूस कर रही है."
नाशिक आणि रायगड जिल्ह्यांच्या पालकमंत्री पदाच्या घोषणेला काल रात्री स्थगिती देण्यात आलीय!
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) January 20, 2025
हे नक्की काय चाललंय?
मुख्यमंत्री परदेशी असताना अशी स्थगिती येणं आणि पालकमंत्री म्हणून जाहीर केलेल्या मंत्र्यांचा अपमान होणं हे विचित्र आहे.
पहिल्यांदाच ‘सह पालकमंत्री’ आणि मग स्थगिती ही…
ठाकरे की इस आलोचना ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए जनता के बीच एक स्पष्ट संदेश दिया है – कि सत्ता के गलियारों में केवल कुर्सी की लड़ाई हो रही है और जनता की समस्याओं की किसी को परवाह नहीं.
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