इन चित्रों में विभिन्न लोककथाएं और वैश्विक कथाओं के प्रभावी चित्रण के माध्यम से संदेश देने का प्रयास किया गया है.
आदित्य ठाकरे ने प्रदर्शनी का दौरा करते हुए निधि चौधरी की कला को सराहा और कहा, "यह चित्रप्रदर्शनी केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश नहीं देती, बल्कि यह हमें वर्तमान समय की सच्चाई से भी रूबरू कराती है. इन चित्रों के माध्यम से समाज के प्रति एक गहरी संवेदनशीलता और प्रकृति प्रेम की भावना व्यक्त की गई है."
ठाकरे ने यह भी बताया कि इन चित्रों में महापुरुषों के विचारों और उनके संदेशों की झलक मिलती है, जो हमें जीवन को और अधिक संवेदनशील दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करती है.
निधि चौधरी, जो प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ कला के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं, अपनी कला के माध्यम से पर्यावरण के प्रति अपनी गहरी चिंताओं को प्रकट कर रही हैं. उनके चित्रों में न केवल पर्यावरणीय समस्याओं का चित्रण है, बल्कि यह चित्र लोगों को प्रकृति के महत्व और उसकी रक्षा करने के लिए भी प्रेरित करते हैं.
इस प्रदर्शनी में दिखाई गई कला ने नागरिकों से सीधा संवाद स्थापित किया और उन्हें सोचने पर मजबूर किया कि हम प्रकृति की रक्षा में क्या भूमिका निभा सकते हैं.
प्रदर्शनी का आयोजन इस दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण था कि यह एक सामाजिक जागरूकता का माध्यम बनकर उभरी. ठाकरे ने प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि "यह कला एक शक्तिशाली संदेश है, जो समाज को एकजुट करके पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करती है."
यह प्रदर्शनी न केवल कला प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर एक गहरी सोच और बदलाव की आवश्यकता को भी प्रमुखता से प्रस्तुत किया.
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