Updated on: 18 August, 2024 09:36 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा कि पिछले तीन दिनों के अपमानजनक व्यवहार के कारण मैं अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी की परवाह थी.
चंपई सोरेन की फाइल फोटो
बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बगावती पोस्ट लिखा है, जिसमें उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की है. चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा कि पिछले तीन दिनों के अपमानजनक व्यवहार के कारण मैं अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी की परवाह थी. मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उस पार्टी में मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है जिसके लिए मैंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, जिसके दौरान कई अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिनका मैं अब उल्लेख नहीं करना चाहता. इतने अपमान और तिरस्कार के बाद, मुझे वैकल्पिक रास्ता खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा.
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चंपई सोरेन ने कहा, ``पिछले 4 दशकों की अपनी बेदाग राजनीतिक यात्रा में पहली बार मैं अंदर से टूट गया हूं. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ. पूरी घटना में अपनी गलती ढूंढ़ते हुए मैं दो दिन तक चुपचाप बैठा रहा और आत्ममंथन करता रहा. सत्ता का कोई लालच नहीं था, लेकिन अपने स्वाभिमान का यह घाव किसे दिखाऊं? मैं अपने प्रियजनों का दर्द कहां व्यक्त करूं.”
जोहार साथियों,
— Champai Soren (@ChampaiSoren) August 18, 2024
आज समाचार देखने के बाद, आप सभी के मन में कई सवाल उमड़ रहे होंगे। आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया।
अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज…
पूर्व सीएम ने नाराजगी जताते हुए लिखा, ``जब वे सत्ता में आए तो उन्होंने बाबा तिलक मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सीदो-कान्हू जैसे नायकों को श्रद्धांजलि देकर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया, झारखंड का हर बच्चा जानता है कि उनके दौरान इस कार्यकाल में मैंने कभी किसी के साथ गलत नहीं किया है और न ही होने दिया है. इसी बीच होली के दूसरे दिन मुझे पता चला कि पार्टी नेतृत्व ने अगले 2 दिनों के मेरे सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिये हैं. जिसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटने का था.`
उन्होंने कहा, ``पूछताछ करने पर पता चला कि गठबंधन की ओर से 3 जुलाई को विधायकों की बैठक बुलाई गई है, तब तक आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते. क्या लोकतंत्र में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को किसी और द्वारा रद्द करने से ज्यादा अपमानजनक कुछ और हो सकता है? अपमान का यह कड़वा पेय पीने के बाद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र का वितरण सुबह है, जबकि विधायक दल की बैठक दोपहर में है, इसलिए मैं वहीं से भाग लूंगा.`
चंपई ने आगे कहा, ``मुख्यमंत्री को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया, बैठक के दौरान मुझसे इस्तीफे की मांग की गई. मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया क्योंकि मैं सत्ता के प्रति आकर्षित नहीं था, लेकिन मेरे आत्मसम्मान पर लगी चोट ने मेरे दिल को छू लिया.” चंपई सोरेन ने अपने बगावती पोस्ट में कहा, `आप सभी सोच रहे होंगे कि कोल्हान के छोटे से गांव से गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाने वाला क्या हुआ. उन्होंने कहा, “अपने सार्वजनिक जीवन के आरंभ में, औद्योगिक घरानों के खिलाफ श्रमिकों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन सरोकार की राजनीति की है. मैं राज्य के आदिवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों और पिछड़े वर्गों को उनका अधिकार दिलाने का प्रयास कर रहा हूं.”
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