Updated on: 26 August, 2025 08:22 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
महाराष्ट्र कांग्रेस ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं. प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि गठबंधन पर फैसला स्थानीय स्तर पर विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा.
X/Pics, Harshvardhan Sapkal
महाराष्ट्र कांग्रेस ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी तेज कर दी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सोमवार को स्पष्ट किया कि कांग्रेस संगठन स्तर पर सक्रियता बढ़ा रही है और सहयोगी दलों के साथ गठबंधन का निर्णय स्थानीय परिस्थितियों और विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) जैसे महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगियों के साथ तालमेल पर चर्चा की जाएगी.
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सपकाल ने याद दिलाया कि सर्वोच्च न्यायालय ने मई में राज्य चुनाव आयोग को चार महीने के भीतर लंबित स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है. इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण का मुद्दा भी अधर में लटका हुआ है.
मराठवाड़ा क्षेत्र के पाँच जिलों के कांग्रेस नेताओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद सपकाल ने कहा, “कांग्रेस ने पूरी तैयारी शुरू कर दी है. गठबंधन पर स्थानीय स्तर पर फैसला होगा. हमारी कोशिश है कि कार्यकर्ता बूथ स्तर तक मजबूत हों.”
बैठक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग की मदद से भाजपा चुनावी गड़बड़ी कर रही है. उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी ने इस संबंध में सबूत भी पेश किए हैं. थोराट के मुताबिक, "आज लोकतंत्र खतरे में है और इसे बचाने के लिए कांग्रेस और उसके कार्यकर्ताओं को मैदान में उतरना होगा."
पूर्व मंत्री अमित देशमुख ने कहा कि कांग्रेस राहुल गांधी के नारे “वोट चोर, गद्दी छोड़” को लेकर महाराष्ट्र की सड़कों पर आंदोलन करेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्थानीय निकाय चुनावों के प्रचार में कांग्रेस भाजपा और उसकी सहयोगी महायुति सरकार की "विफलताओं" को जनता के सामने रखेगी.
मराठा आरक्षण के सवाल पर सपकाल ने दोहराया कि कांग्रेस समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि पार्टी लगातार जाति-वार जनगणना की मांग कर रही है और 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा हटाने की वकालत भी करती रही है.
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगर विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा को कड़ी चुनौती दी जा सकती है. पार्टी ने रणनीतिक तैयारी के साथ-साथ जनता के मुद्दों—बेरोजगारी, महंगाई और आरक्षण—को प्राथमिकता देने का संकेत भी दिया है.
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