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दिल्ली, हिमाचल, कश्मीर और पंजाब में तबाही: आदित्य ठाकरे बोले– यह सिर्फ प्राकृतिक नहीं, प्रशासनिक आपदा भी

Updated on: 05 September, 2025 11:50 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

दिल्ली, पंजाब, हिमाचल और कश्मीर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में बाढ़, भूस्खलन और भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इस आपदा पर शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने संवेदना व्यक्त करते हुए इसे सिर्फ प्राकृतिक नहीं बल्कि प्रशासनिक विफलता बताया.

X/Pics, Aaditya Thackeray

X/Pics, Aaditya Thackeray

उत्तर भारत इस समय मौसम के रौद्र रूप का सामना कर रहा है. कहीं भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, तो कहीं बाढ़ और भूस्खलन से हालात बिगड़ गए हैं. राजधानी दिल्ली की सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं, हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रहे भूस्खलनों से सड़कों और रास्तों का नामोनिशान मिट रहा है. कश्मीर की घाटियों में भी हालात गंभीर हैं, जबकि पंजाब और हरियाणा में बाढ़ ने लोगों के जीवन को संकट में डाल दिया है.

इसी बीच, शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर इन हालात पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है. उन्होंने लिखा कि जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड सहित उत्तर भारत का अधिकांश भाग प्रकृति के प्रकोप का सामना कर रहा है. ठाकरे ने कहा, “मैं उन सभी लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ जो इस जलवायु आपदा का सामना कर रहे हैं, लेकिन उससे भी ज़्यादा, यह एक प्रशासनिक योजनागत आपदा है.”


 



 

उन्होंने आगे कहा कि वे प्रार्थना करते हैं कि इस आपदा में फँसे सभी लोगों को जल्द से जल्द राहत मिले और केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर हर संभव मदद करे. लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी कि यह अब दशकों में एक बार होने वाली प्राकृतिक घटना नहीं रही है. यह लगातार बढ़ती मानवीय गतिविधियों और गलत नीतियों का नतीजा है.

आदित्य ठाकरे ने पहाड़ों की बेहिसाब कटाई, जंगलों की अंधाधुंध कटाई, नदियों के प्राकृतिक मार्गों को बदलने जैसी सरकारी योजनाओं और निर्णयों को इस आपदा का बड़ा कारण बताया. उन्होंने कहा कि अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि भारत जलवायु आपातकाल का सामना कर रहा है.

ठाकरे ने ज़ोर देते हुए कहा कि अब यह केवल राहत, बचाव और मुआवज़े तक सीमित मुद्दा नहीं रह गया है. यह भारत और भारतीयों के भविष्य का सवाल है, जो जलवायु आपदा के प्रति बेहद संवेदनशील हो चुके हैं. उन्होंने अपील की कि अब देश को ठोस जलवायु नीतियाँ बनानी होंगी और ज़मीन पर प्रभावी कदम उठाने होंगे.

उत्तर भारत के कई राज्यों में फिलहाल भारी बारिश और भूस्खलनों की चेतावनी जारी है. प्रशासन बचाव और राहत कार्य में जुटा है, लेकिन आदित्य ठाकरे का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि आने वाले समय में अगर नीतिगत बदलाव नहीं हुए तो ऐसी आपदाएँ और भी बड़े स्तर पर सामने आ सकती हैं.

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