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शरद पवार के पोते पर लटकी ईडी की तलवार, बैंक घोटाला में बनाया आरोपी

Updated on: 13 July, 2025 12:58 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

अहिल्यानगर जिले के कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र से विधायक ने दावा किया कि उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है और उन्होंने इस मामले को कानूनी रूप से लड़ने का संकल्प लिया.

रोहित पवार अहिल्यानगर जिले के कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. फ़ाइल चित्र

रोहित पवार अहिल्यानगर जिले के कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. फ़ाइल चित्र

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार ने शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) धन शोधन मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद लगे गलत कामों के आरोपों का खंडन किया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अहिल्यानगर जिले के कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र से विधायक ने दावा किया कि उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है और उन्होंने इस मामले को कानूनी रूप से लड़ने का संकल्प लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक पवार का नाम हाल ही में ईडी द्वारा मुंबई की एक विशेष अदालत में दायर आरोपपत्र में शामिल किया गया था. यह मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 2019 में दर्ज एक प्राथमिकी से जुड़ा है, जिसमें एमएससीबी अधिकारियों द्वारा सहकारी चीनी मिलों (सहकारी चीनी मिलों) को कम कीमत पर निजी संस्थाओं को धोखाधड़ी से बेचने का आरोप लगाया गया था.


छत्रपति संभाजीनगर में ऐसी ही एक इकाई, कन्नड़ एसएसके, का अधिग्रहण बारामती एग्रो लिमिटेड ने किया था - जो पवार से जुड़ी एक कंपनी है. रिपोर्ट के अनुसार ईडी का दावा है कि 80.56 करोड़ रुपये के बकाया ऋण की वसूली के लिए बैंक ने 2009 में एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के तहत मिल का कब्ज़ा ले लिया और बाद में एक संदिग्ध मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर 2012 में इसे "बहुत कम" आरक्षित मूल्य पर नीलाम कर दिया.


ईडी के अनुसार, दो अन्य पक्ष भी बोली प्रक्रिया में शामिल हुए थे, लेकिन सबसे ऊँची बोली लगाने वाले को बेबुनियाद आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया, जबकि शेष बोली लगाने वाला कथित तौर पर बारामती एग्रो का एक करीबी सहयोगी था, जिसका कोई विश्वसनीय अनुभव नहीं था. रिपोर्ट के मुताबिक पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए, पवार ने कहा, "जब एफआईआर दर्ज की गई थी, तब 97 लोगों के नाम थे - मेरा नाम उनमें नहीं था. पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से बारामती एग्रो द्वारा अधिग्रहण से पहले चीनी मिल एक प्रशासक के नियंत्रण में थी."

उन्होंने आगे कहा कि अन्य सभी को खारिज कर दिए जाने के बावजूद, ईडी उनका पीछा करता रहा. उन्होंने कहा, "मुझसे 12 घंटे तक पूछताछ की गई और ईडी के अधिकारी मिल भी गए. उन्होंने सब कुछ ठीक पाया. मुझे न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है." इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए पवार ने कहा, "जिन 97 लोगों का नाम लिया गया है, उनमें से कई अब भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) या अजित पवार की एनसीपी का हिस्सा हैं. मुझे इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि मैं सरकार के खिलाफ बोलता हूँ." उन्होंने कहा, "मुझे डर नहीं है. यह विचारधारा की लड़ाई है. हम मराठी लोग हैं - हम दिल्ली के आगे नहीं झुकते."


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