Updated on: 11 July, 2025 10:28 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
नज़ाकत से निभाए गए किरदार, सह-कलाकारों के साथ तालमेल और भाषाओं की सीमाओं से परे जाकर दर्शकों से जुड़ाव, यह कभी निराश नहीं करते, जिसकी वजह से हम प्यार पर फिर से यक़ीन करने लगते हैं.
आर माधवन
ऐसा बहुत कम होता है जब पर्दे पर दिखाया गया प्यार इतना सच्चा लगता है कि वो असली जज़्बातों की झलक देने लगे. और फिर आता है आर. माधवन इफ़ेक्ट — चाहे वो `अलाईपायुथे` हो या `आप जैसा कोई`, जब वह रोमांस चुनते हैं, तो वो कहानी कुछ ख़ास बन जाती है. नज़ाकत से निभाए गए किरदार, सह-कलाकारों के साथ तालमेल और भाषाओं की सीमाओं से परे जाकर दर्शकों से जुड़ाव, यह पैन इंडिया पावरहाउस कभी निराश नहीं करते, और वह सिर्फ़ रोमांटिक हीरो की भूमिका ही नहीं निभाते, बल्कि वो एक वजह बनते हैं जिसकी वजह से हम प्यार पर फिर से यक़ीन करने लगते हैं.
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चाहे लवरबॉय का चार्म हो या हालिया वर्षों की भावनात्मक गहराई से निभाया गया किरदार —आर. माधवन ने प्रेम के हर रूप को जिया है, कभी कोमलता से, तो कभी धैर्य से. उनके किरदार किसी तय पैटर्न पर नहीं चलते, बल्कि दिल के अलग-अलग पड़ाव दिखाते हैं. `रहना है तेरे दिल में` में उन्होंने हमें मैडी का किरदार दिया, जो बेबाक था मगर अंदर से नाज़ुक था, एक ऐसा प्रेमी जो नामुमकिन को मुमकिन बनाने की कोशिश करता है और दर्शकों को अपने पक्ष में कर लिया. "अलाईपायुथे" में वे कार्तिक बने, एक युवा जो प्यार में डूबा हुआ, और शादी के असली मतलब से अभिभूत.
मिन्नाले में, उन्होंने एक अधूरा पर सच्चे प्रेमी की भूमिका निभाई—एक ऐसा इंसान जो सच को मोड़ता है, लेकिन अपनी भावनाओं को नहीं. और फिर तनु वेड्स मनु आई, जहाँ उन्होंने दिखाया कि प्यार मौन भी हो सकता है, सम्मानजनक और दिल तोड़ने वाला सच्चा भी हो सकता है. मनु के रूप में, वह ज़ोर-शोर से नहीं बोलते थे, लेकिन उनकी शांत निगाहें इंतज़ार, प्यार और फ्रीडम के बारे में बहुत कुछ कहती थीं.
अब आप जैसा कोई में, श्रीरेणु के रूप में आर. माधवन एक ऐसे किरदार में है जो दिल से रोमांटिक हैं, लेकिन आत्मा से परिपक्व हैं. फातिमा सना शेख के साथ उनकी जोड़ी में फिर से वही तड़प, वही आकर्षण और वही गहराई झलकती है, जिसे केवल वही इतनी बारीकियों और सिद्दत के साथ चित्रित कर सकते हैं. यह सिर्फ़ एक नई फ़िल्म नहीं, बल्कि उस प्रेम कहानी की अगली कड़ी है जो कभी पूरी तरह ख़त्म ही नहीं हुई. क्योंकि जब आर. माधवन पर्दे पर होते हैं, तो यह सिर्फ़ अभिनय नहीं होता. यह एक ऐसा एहसास है जिसे आप हमेशा जीना चाहते हैं.
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