Updated on: 10 June, 2025 02:46 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पुणे में आयोजित पार्टी के वर्षगांठ कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई.
X/Pics, Sharad Pawar
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पार्टी के 21वें वर्षगांठ कार्यक्रम में एक बड़ा संकेत देते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई है. पुणे में आयोजित इस कार्यक्रम में पाटिल ने कहा कि अब समय आ गया है कि पार्टी में नए चेहरों को मौका दिया जाए, ताकि पार्टी को नई दिशा मिल सके. पाटिल के इस बयान ने राकांपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच हलचल पैदा कर दी है और पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं.
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पाटिल ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मेरे लिए यह एक सम्मान की बात रही है कि मुझे इस महत्वपूर्ण पद पर सेवा देने का अवसर मिला. लेकिन अब समय आ गया है कि पार्टी नए और युवा चेहरों को मौका दे ताकि वे आगे बढ़ सकें और पार्टी को नई दिशा दे सकें." पाटिल ने यह भी कहा कि पार्टी में अब नई ऊर्जा और दृष्टिकोण की आवश्यकता है, और यही वह समय है जब नेतृत्व में बदलाव की जरूरत महसूस हो रही है.
राकांपा में पाटिल का एक महत्वपूर्ण स्थान है. वे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक माने जाते हैं और महाराष्ट्र की राजनीति में उनकी एक मजबूत पहचान है. 2019 के विधानसभा चुनाव में पाटिल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और पार्टी को कई सीटों पर जीत दिलाने में सफलता प्राप्त की थी. उनका इस्तीफा पार्टी में बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. पाटिल अब चाहते हैं कि पार्टी नए नेतृत्व के साथ अपनी कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी तरीके से अंजाम दे सके.
पाटिल के इस बयान के बाद पार्टी के भीतर संभावित नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. शरद पवार और अजित पवार जैसे वरिष्ठ नेता अब इस मुद्दे पर विचार करेंगे. पाटिल ने यह स्पष्ट किया कि उनका इस्तीफा केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि यह पार्टी के भविष्य को लेकर उनके विचारों का हिस्सा है.
राकांपा के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, क्योंकि पार्टी अब अपने पुराने नेतृत्व से नए नेतृत्व की ओर बढ़ने की आवश्यकता महसूस कर रही है. पाटिल का यह कदम पार्टी के भीतर बदलाव की प्रक्रिया को सहजता से स्वीकार करने की दिशा में है, और यह नए चेहरों को अपनी ताकत दिखाने का मौका देने का इरादा भी रखता है.
राज्य की राजनीति में इस परिवर्तन से न केवल पार्टी को नई दिशा मिल सकती है, बल्कि चुनावी रणनीतियों में भी बदलाव आ सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के भीतर इस नेतृत्व परिवर्तन को किस तरह से स्वीकार किया जाता है और क्या यह पार्टी के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आता है.
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