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पीएम मोदी पर आपत्तिजनक कार्टून बनाने वाले हेमंत मालवीय को जमानत

Updated on: 02 September, 2025 04:55 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

यह देखते हुए कि उन्होंने अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट पर माफ़ी मांगी है, पीठ ने पुलिस को यह छूट दी कि अगर कार्टूनिस्ट सहयोग नहीं करते, तो उनकी ज़मानत रद्द कर सकते हैं.

प्रतीकात्मक चित्र. फ़ाइल चित्र

प्रतीकात्मक चित्र. फ़ाइल चित्र

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को अग्रिम ज़मानत दे दी. उन पर सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून साझा करने का आरोप है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार यह देखते हुए कि उन्होंने अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट पर माफ़ी मांगी है, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने पुलिस को यह छूट दी कि अगर कार्टूनिस्ट जाँच में सहयोग नहीं करते हैं, तो वे उनकी ज़मानत रद्द करने की माँग कर सकते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान, मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत को बताया कि उन्होंने माफ़ी मांग ली है और याचिकाकर्ता को अभी तक तलब नहीं किया गया है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने जवाब दिया कि सभी सबूत इकट्ठा होने के बाद ही तलब किया जाएगा. मालवीय पर मई में इंदौर में पुलिस ने वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. जोशी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई है और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा है.


15 जुलाई को, न्यायमूर्ति कुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की शीर्ष अदालत की पीठ ने मालवीय को किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया. मंगलवार को, न्यायालय ने इस आदेश को "पूर्ण" घोषित कर दिया. रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत ने इससे पहले मालवीय द्वारा दायर एक हलफनामे पर संज्ञान लिया था जिसमें उन्होंने खेद व्यक्त किया था और तहे दिल से माफ़ी मांगी थी. पीठ ने आशा व्यक्त की कि यह न केवल "कलम से, बल्कि दिल से भी" है.


नटराज ने दलील दी थी कि जाँच लंबित है और यह पोस्ट एक प्रासंगिक साक्ष्य हो सकता है और इस स्तर पर इसे हटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. 15 जुलाई के अपने फैसले में, शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट की बढ़ती संख्या पर भी चिंता व्यक्त की और इस कुप्रथा पर अंकुश लगाने के लिए एक न्यायिक आदेश पारित करने की आवश्यकता पर बल दिया. रिपोर्ट के मुताबिक मालवीय ने 3 जुलाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अग्रिम ज़मानत देने से इनकार करने के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.

उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में कई "आपत्तिजनक" पोस्ट का उल्लेख है, जिनमें भगवान शिव पर कथित रूप से अनुचित टिप्पणियों के साथ-साथ कार्टून, वीडियो, तस्वीरें और मोदी, आरएसएस कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों के बारे में टिप्पणियाँ शामिल हैं. एफआईआर में उन पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और आरएसएस की छवि धूमिल करने के इरादे से अभद्र और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने का आरोप लगाया गया है. उच्च न्यायालय में मालवीय के वकील ने दलील दी कि उन्होंने केवल एक कार्टून पोस्ट किया था और अन्य फेसबुक उपयोगकर्ताओं द्वारा उस पर पोस्ट की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.


पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए (इलेक्ट्रॉनिक रूप में किसी भी यौन रूप से स्पष्ट सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण) भी लगाई है.

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