Updated on: 25 August, 2025 06:17 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
यह परीक्षण, जिसमें क्रू मॉड्यूल के लिए पैराशूट-आधारित मंदन प्रणाली का प्रदर्शन किया गया, भारतीय वायु सेना, DRDO, भारतीय नौसेना और कई रक्षा और अनुसंधान एजेंसियों के सहयोग से किया गया.
इसरो ने गगनयान मिशन के लिए पैराशूट आधारित मंदन प्रणाली के संपूर्ण प्रदर्शन हेतु पहला एकीकृत वायु ड्रॉप परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया. तस्वीर/पीटीआई
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपना पहला एकीकृत एयर ड्रॉप परीक्षण (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान मिशन की तैयारियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार यह परीक्षण, जिसमें क्रू मॉड्यूल के लिए पैराशूट-आधारित मंदन प्रणाली का प्रदर्शन किया गया, भारतीय वायु सेना, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल सहित कई रक्षा और अनुसंधान एजेंसियों के सहयोग से किया गया. X पर साझा की गई एक पोस्ट में, इसरो ने कहा, "इसरो ने गगनयान मिशन के लिए पैराशूट-आधारित मंदन प्रणाली के संपूर्ण प्रदर्शन हेतु पहला एकीकृत एयर ड्रॉप परीक्षण (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. यह परीक्षण इसरो, भारतीय वायु सेना, DRDO, भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल का एक संयुक्त प्रयास है."
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रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में संसद को सूचित किया कि गगनयान मिशन के लिए मानव-चालित प्रक्षेपण यान (HLVM3) का विकास और जमीनी परीक्षण पूरा हो चुका है. परियोजना के विभिन्न घटकों पर अद्यतन जानकारी देते हुए, सिंह ने कहा, "क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल के लिए प्रणोदन प्रणालियाँ विकसित और परीक्षण की जा चुकी हैं. ईसीएलएसएस इंजीनियरिंग मॉडल को साकार किया जा चुका है. पाँच प्रकार की मोटरों वाला क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) विकसित और स्थैतिक परीक्षण किया जा चुका है. ऑर्बिटल मॉड्यूल तैयारी सुविधा, गगनयान नियंत्रण केंद्र, क्रू प्रशिक्षण सुविधा और दूसरे लॉन्च पैड पर संशोधनों सहित आवश्यक बुनियादी ढाँचा स्थापित किया जा चुका है."
उन्होंने आगे बताया कि पूर्ववर्ती मिशन पहले से ही चल रहे हैं. सीईएस के सत्यापन के लिए एक परीक्षण वाहन विकसित किया गया है और टीवी-डी1 में इसका सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया है. टीवी-डी2 और आईएडीटी-01 के लिए गतिविधियाँ प्रगति पर हैं. रिपोर्ट के अनुसार ग्राउंड नेटवर्क कॉन्फ़िगरेशन को अंतिम रूप दिया जा चुका है, आईडीआरएसएस-1 फीडर स्टेशन और स्थलीय लिंक स्थापित किए जा चुके हैं. क्रू रिकवरी ऑपरेशन के लिए रिकवरी एसेट और योजनाएँ तैयार हैं. पहला मानवरहित मिशन (जी1) भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें सी32-जी चरण, सीईएस मोटर्स और एचएस200 मोटर्स जैसी महत्वपूर्ण प्रणालियाँ निर्मित और परीक्षण की जा चुकी हैं.
भविष्य की ओर देखते हुए, सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत का दीर्घकालिक दृष्टिकोण गगनयान से कहीं आगे जाता है. मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता सिद्ध करने के बाद, देश 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन - भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) - विकसित करने की योजना बना रहा है. पहले बीएएस मॉड्यूल के विकास के लिए पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है. रिपोर्ट के मुताबिक 2040 तक, भारत का लक्ष्य मानव को चंद्रमा पर उतारना भी है, जिसमें मिशन कॉन्फ़िगरेशन और प्रशिक्षण मॉड्यूल इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप होंगे. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि ये प्रयास न केवल भारत को स्थापित अंतरिक्ष-यात्रा करने वाले देशों में स्थान दिलाएंगे, बल्कि विकसित भारत के दृष्टिकोण में भी योगदान देंगे.
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