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कोंकण रेलवे विलय पर मुहर, महाराष्ट्र ने रखी शर्त - नाम नहीं बदलेगा

Updated on: 20 March, 2025 08:57 AM IST | mumbai
Rajendra B Aklekar | rajendra.aklekar@mid-day.com

कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) की स्थापना 1990 के दशक में हुई थी. यह एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और रेल मंत्रालय का निवेश शामिल है.

Pic/X/@KonkanRailway

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कोंकण रेलवे को भारतीय रेलवे में विलय करने की प्रक्रिया को लेकर बड़ा निर्णय सामने आया है. महाराष्ट्र, केरल, गोवा और कर्नाटक में से तीन राज्य सरकारों ने पहले ही इस विलय पर सहमति जता दी थी, और अब महाराष्ट्र ने भी सशर्त सहमति दे दी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को विधानसभा में घोषणा की कि महाराष्ट्र इस विलय के पक्ष में है, लेकिन कोंकण रेलवे का नाम बरकरार रहना चाहिए.

कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) की स्थापना 1990 के दशक में हुई थी. यह एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और रेल मंत्रालय का निवेश शामिल है. हालांकि, यह एक निगम होने के कारण सीमित वित्तीय संसाधनों के साथ संचालित होता है, जिससे इसके दोहरीकरण, ट्रैक विस्तार, और बुनियादी ढांचे के उन्नयन जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं.


विलय से क्या होगा फायदा?


मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, "कोंकण रेलवे का भारतीय रेलवे में विलय कई वर्षों से लंबित था. वर्तमान में, इसकी वित्तीय सीमाएं हैं, जिससे इसके विस्तार कार्य धीमे हो गए हैं. लेकिन विलय के बाद, भारतीय रेलवे इसे बेहतर तरीके से वित्तीय सहायता प्रदान कर सकेगा और आवश्यक परियोजनाओं को गति मिलेगी."

कोंकण रेलवे का नाम रहेगा बरकरार


महाराष्ट्र सरकार की मुख्य शर्त यह थी कि कोंकण रेलवे का नाम बदला नहीं जाना चाहिए. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया है, जिससे महाराष्ट्र सरकार ने भी अपनी सहमति जताई है.

फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार जल्द ही केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय को औपचारिक रूप से अपनी मंजूरी भेजेगी. इसके साथ ही, चारों राज्यों की सहमति के बाद अब कोंकण रेलवे को भारतीय रेलवे में एकीकृत करने की प्रक्रिया तेज हो सकती है.

यह विलय कोंकण रेलवे के विस्तार और विकास में अहम साबित होगा, जिससे न केवल रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार आएगा बल्कि यात्रियों को भी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.

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