Updated on: 23 September, 2025 02:53 PM IST | Mumbai
Aditi Alurkar
महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और स्थानीय निकाय स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दोहराए हैं. यह कदम बाल शोषण की घटनाओं के बढ़ते मामलों के बीच उठाया गया है.
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महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने पिछले हफ़्ते सभी सरकारी और स्थानीय निकाय स्कूलों को ज़िला वार्षिक योजना के तहत या अन्य वित्तीय प्रावधानों के तहत सीसीटीवी कैमरा सर्किट लगाने के अपने निर्देश दोहराए. यह कदम मुंबई के सरकारी और निजी, दोनों स्कूलों में बाल शोषण की लगातार आ रही रिपोर्टों के बाद उठाया गया है.
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हालांकि कई अभिभावक इस पहल का स्वागत करते हैं, लेकिन वे चेतावनी देते हैं कि सिर्फ़ कैमरे लगाना ही काफ़ी नहीं है. मुंबई के एक अभिभावक, जिनकी बेटी कथित तौर पर पॉक्सो अधिनियम की शिकार थी, ने कहा, "माता-पिता का विश्वास जीतने के लिए सिर्फ़ सीसीटीवी कैमरे ही काफ़ी नहीं होंगे. ब्लाइंड स्पॉट, सीमित या संपादित फ़ुटेज, निगरानी की कमी, और शौचालय व भंडारण कक्ष जैसे खुले क्षेत्र, बच्चों को असुरक्षित बनाते हैं."
उन्होंने आगे कहा, "पॉक्सो अधिनियम के मामलों में, सीसीटीवी फ़ुटेज महत्वपूर्ण सबूत होता है. स्कूलों को कदाचार रोकने के लिए लगाए गए कैमरों की संख्या, उनके विक्रेताओं और डेटा कहाँ संग्रहीत किया जाता है, इसका खुलासा करना चाहिए."
हालांकि कई निजी स्कूल निगरानी मानदंडों का पालन करते हैं, लेकिन कई सरकारी स्कूल इसमें पीछे हैं. शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र के 1,08,157 स्कूलों में से केवल 41,295 स्कूलों में ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं - जिससे आधे से ज़्यादा स्कूलों में कोई निगरानी नहीं है.
महाराष्ट्र स्कूल प्रिंसिपल्स एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख महेंद्र गणपुले ने कहा, "स्कूलों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी है. जहाँ निजी और सहायता प्राप्त स्कूल प्रयास कर रहे हैं, वहीं जिला परिषद और नगर निगम द्वारा संचालित स्कूल इसमें पीछे रह गए हैं. जो स्कूल नियमों का पालन नहीं करते, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की ज़रूरत है."
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