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मंत्री कोकाटे को मिली राहत, धोखाधड़ी मामले में 2 साल की जेल सजा निलंबित

Updated on: 25 February, 2025 02:29 PM IST | Mumbai

आगे की सुनवाई में कोर्ट द्वारा मंत्री और उनके भाई द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और दलीलों का विस्तार से परीक्षण किया जाएगा.

Manikrao Kokate. File Pic

Manikrao Kokate. File Pic

नासिक की एक अदालत ने 1995 में दर्ज एक धोखाधड़ी मामले में महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे को दी गई दो साल की जेल की सजा को निलंबित कर दिया है. इस मामले में आरोप था कि मंत्री ने सरकारी कोटे के तहत फ्लैट प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए थे. इस फैसले से न केवल मंत्री के खिलाफ लगे आरोपों पर पुनर्विचार की संभावना बनी है, बल्कि इसे महाराष्ट्र की राजनीति और न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में भी देखा जा रहा है.

मामले की शुरुआत तब हुई जब पूर्व मंत्री दिवंगत टी एस दिघोले की शिकायत दर्ज की गई थी. जांच में पता चला कि सरकारी आवास योजनाओं के लाभ उठाने हेतु मंत्री माणिकराव कोकाटे और उनके भाई सुनील कोकाटे ने संदिग्ध दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. नासिक जिला और सत्र न्यायालय ने 20 फरवरी को दोनों को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. साथ ही, दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.


हालांकि, इस फैसले से संबंधित दोनों पक्षों में मतभेद देखने को मिलते हैं. मंत्री और उनके भाई ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर कर दी है और सोमवार को जिला न्यायाधीश-1 तथा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (नासिक) एन वी जीवने के समक्ष उनकी सुनवाई होने जा रही है. कोर्ट ने इस अपील की प्रारंभिक सुनवाई में दी गई जेल की सजा को निलंबित कर दिया है, जिससे मामला नई दिशा में आगे बढ़ सकता है.


कुछ न्यायिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस निलंबन से मामले पर पुनः विचार करने का अवसर मिलेगा और न्यायिक प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता आएगी. उनके अनुसार, इस तरह के मामलों में न्यायिक निर्णय से राजनीतिक दबाव को कम किया जा सकता है और भविष्य में समान प्रकार के मामलों में एक मिसाल भी कायम हो सकती है.

आगे की सुनवाई में कोर्ट द्वारा मंत्री और उनके भाई द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और दलीलों का विस्तार से परीक्षण किया जाएगा. इस निर्णय से न केवल मौजूदा मामले में न्याय सुनिश्चित होगा, बल्कि आने वाले समय में सरकारी कोटे के तहत आवास प्राप्त करने की प्रक्रिया में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है. ऐसे फैसलों से महाराष्ट्र की राजनीतिक और न्यायिक प्रणाली में विश्वास की संभावना भी बढ़ जाती है. अंततः न्यायिक प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाए.


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