Updated on: 12 July, 2025 10:12 AM IST | Mumbai
सना मलिक-शेख ने विधानसभा में ध्वनी प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता जताई और नए डेसिबल सीमा तय करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
X/Pics, Sana Malik-Shaikh
पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ के बीच रोज़ाना आना-जाना एक कठिन परीक्षा बन गया है. गड्ढों से भरे राजमार्ग, जाम से भरी सर्विस लेन और अधूरे वादों ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है, जिसके चलते पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) को आखिरकार सख्ती बरतनी पड़ी है - सड़क मरम्मत में लापरवाही बरतने के लिए 26 जूनियर इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
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निगडी से पिंपरी तक मुंबई-पुणे राजमार्ग पर गड्ढे बने हुए हैं, शहर के उपनगर और अन्य मुख्य सड़कें भी इससे अछूती नहीं हैं. जून में एक समर्पित `गड्ढा प्रबंधन` ऐप लॉन्च करने के बावजूद, पीसीएमसी बढ़ती यात्री परेशानी और बिगड़ती सड़क स्थितियों से निपटने में नाकाम रही है.
डेसिबल मर्यादांमध्ये सुधारणा करण्याची गरज!
— Sana Malik-Shaikh ثنا ملک-شیخ सना मलिक-शेख (@sanamalikshaikh) July 11, 2025
पर्यावरण संरक्षण कायदा 1986 अंतर्गत ठरवलेले ध्वनी प्रदूषण नियम सध्याच्या परिस्थितीत अपुरे ठरत आहेत. याकडे मी लक्ष वेधल्यावर, मा. मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीसजी यांनी या मुद्द्यावर सखोल विचार करून सुधारित मर्यादांसंदर्भात शिफारस… pic.twitter.com/v3I3SPp7Iz
नगर निगम की कार्रवाई शुरू
पीसीएमसी के सिविल विभाग के कार्यकारी अभियंता देवन्ना गुट्टुवर ने कहा, "शिकायतों की अनदेखी करने और मरम्मत की गुणवत्ता बनाए रखने में विफल रहने के लिए सभी आठ ज़ोन (ए से एच) के 26 कनिष्ठ अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं." उन्होंने आगे कहा, "उन्हें लिखित में जवाब देने या अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है."
मेट्रो की अव्यवस्था ने और बढ़ा दी अराजकता
महामेट्रो द्वारा चल रहे मेट्रो निर्माण ने, खासकर भक्ति-शक्ति चौक और चिंचवाड़ के बीच, स्थिति को और बदतर बना दिया है. गहरे गड्ढों और संकरी गलियों ने इस मार्ग को खतरनाक बना दिया है. इसके जवाब में, पीसीएमसी ने महामेट्रो को पत्र लिखकर तत्काल मरम्मत और ट्रैफिक वार्डन की तैनाती का अनुरोध किया है. पुणे मेट्रो के वरिष्ठ अधिकारी हेमंत सोनावणे ने कहा, "सड़कें पीसीएमसी के अधीन हैं. मानसून के कारण मरम्मत कार्य रुका हुआ था. चूँकि यह मार्ग अत्यधिक व्यस्त है, इसलिए मरम्मत केवल रात में ही की जा सकती है."
हकीकत की जाँच
पीसीएमसी का दावा है कि उसने 1875 गड्ढों में से 1464 की पहचान कर उन्हें विभिन्न सामग्रियों - कोल्ड मिक्स, जीएसबी, सीमेंट कंक्रीट, खादी और पेवर ब्लॉक - से ठीक कर दिया है, लेकिन निवासियों का कहना है कि सड़कें पहले जैसी ही खराब हैं. पीसीएमसी का दावा है कि अब केवल 491 गड्ढे बचे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह संख्या बहुत ज़्यादा है और बढ़ती जा रही है. ऐप पर दर्ज की गई शिकायतों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, और नए-नए पैच किए गए गड्ढे अक्सर फिर से उभर आते हैं.
स्मार्ट सिटी सलाहकार समिति के सदस्य तुषार शिंदे ने कहा, "पीसीएमसी को स्मार्ट सिटी के लक्ष्यों के अनुरूप ढलना होगा. अब समय आ गया है कि डिजिटल सिस्टम को त्वरित और जवाबदेह ज़मीनी कार्रवाई में बदला जाए. बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाया जाना चाहिए, न कि सिर्फ़ तकनीकी टैग दिया जाना चाहिए. पीसीएमसी को मानसून-पूर्व तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और नालियों की सफ़ाई की सख़्त कार्ययोजनाएँ बनानी चाहिए.
उसे गड्ढों, सड़कों की टूट-फूट और जल निकासी की स्थिति के लिए सेंसर-आधारित निगरानी (IoT) अपनानी चाहिए. दोषी ठेकेदारों पर सख्त जुर्माना लगाया जाना चाहिए और दोषी पाए जाने वालों को काली सूची में डाला जाना चाहिए. एक रीयल-टाइम डैशबोर्ड प्रकाशित किया जाना चाहिए, जिसमें गड्ढों की शिकायतों की स्थिति, मरम्मत की समय-सीमा और ठेकेदारों के नाम दिखाई दें."
यात्रियों की राय
डॉ. अनिल रॉय, पूर्व पीसीएमसी चिकित्सा अधिकारी
"निगड़ी से चिंचवाड़ स्टेशन तक, गड्ढे लगातार बने हुए हैं - कुछ छोटे हैं, कुछ बड़े गड्ढे हैं, लेकिन वे हर जगह हैं. निगड़ी से बजाज ऑटो तक सिर्फ़ एक किलोमीटर में 76 गड्ढे हैं. यह एक आपदा का इंतज़ार कर रहा है."
कपिल देवधर, एक दैनिक यात्री
“मैं रोज़ निगडी से डेक्कन जाता हूँ. यह बहुत डरावना होता है, खासकर बारिश के दौरान. पीसीएमसी पुरस्कार तो लेता है, लेकिन बुनियादी सड़क सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहता है. हम टैक्स पहले ही चुका देते हैं, लेकिन अच्छी सड़कें नहीं बना पाते.”
जुई शिंदे, एक यात्री
“गड्ढे सिर्फ़ राजमार्गों पर ही नहीं हैं—वे हर जगह हैं. यहाँ तक कि आंतरिक सड़कें और कॉलोनियाँ भी गड्ढे से भरी हैं. उन्होंने जो ऐप लॉन्च किया है, वह एक मज़ाक है. आप शिकायत दर्ज करते हैं और कभी कोई जवाब नहीं मिलता. दुर्घटनाएँ नियमित रूप से हो रही हैं, और तनाव का स्तर आसमान छू रहा है.”
सुरेंद्र पवार, वरिष्ठ नागरिक
“हम वर्षों से स्वच्छ पानी के लिए, अब सुरक्षित सड़कों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पीसीएमसी तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च करता है, लेकिन ज़मीनी स्तर की व्यवस्थाओं को ठीक नहीं करता. हम ट्रैफ़िक में फंसकर अपना कीमती समय गँवा देते हैं. यह मानसिक रूप से थका देने वाला है.”
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