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वोट चोरी के आरोप पर विपक्ष का हल्ला बोल, अखिलेश यादव की फुर्ती पर जितेंद्र आव्हाड का तंजभरा सलाम

Updated on: 12 August, 2025 10:36 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और वोट चोरी के आरोपों पर विपक्ष के 300 सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकाला.

X/Pics, Akhilesh Yadav

X/Pics, Akhilesh Yadav

वोटर वेरिफिकेशन में गड़बड़ियों और चुनाव में कथित वोट चोरी के आरोपों को लेकर विपक्ष ने सोमवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के करीब 300 सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग के दफ़्तर तक मार्च निकाला. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर नेताओं को आगे बढ़ने से रोक दिया.

मौके पर मौजूद नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच अचानक एक नजारा सबका ध्यान खींच ले गया. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पांच फीट ऊँची बैरिकेडिंग फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश की. विपक्ष के अन्य नेता जहाँ पुलिस से बहस में लगे थे, वहीं अखिलेश की यह फुर्ती और साहसिक कदम कैमरों में कैद हो गया.


दिल्ली पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद अखिलेश ने यह कदम उठाकर माहौल और गरमा दिया. पुलिस ने उन्हें और अन्य नेताओं को आगे बढ़ने से रोकने के लिए सख्ती बरती, लेकिन विपक्ष का नारा गूंजता रहा—"संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ".


इस घटनाक्रम पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा—“अगर किसी नेता की महानता समझनी है, तो आंदोलन और संघर्ष के दौरान उसकी चपलता देखिए... ज़मीनी स्तर पर एक सच्चा नेता ऐसा ही होता है. संघर्ष हमारा नारा है, भारत का भविष्य हमारा है.” आव्हाड के इस बयान ने न केवल अखिलेश के कदम को समर्थन दिया बल्कि विपक्ष के आंदोलन को भी और बल दिया.

 


 

विपक्ष का आरोप है कि हालिया चुनावों में बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में हेरफेर की गई है, लाखों वैध वोटरों के नाम काटे गए और फर्जी वोट डाले गए. इन मुद्दों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगते हुए उन्होंने पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया की मांग दोहराई.

मार्च के दौरान कांग्रेस, तृणमूल, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी, आप, डीएमके और वाम दलों के सांसद भी शामिल रहे. हालांकि, पुलिस की रोक और बैरिकेडिंग के चलते विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल ही अंततः चुनाव आयोग तक पहुँचा.

अखिलेश यादव की बैरिकेड फांदने की तस्वीरें और वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिन्हें समर्थक ‘संघर्ष का प्रतीक’ बता रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थक इसे ‘सस्ती नाटकीयता’ करार दे रहे हैं. लेकिन एक बात तय है—इस घटना ने विपक्ष के आंदोलन को नई ऊर्जा जरूर दे दी है.

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