Updated on: 02 October, 2025 09:24 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी का एक प्रेरक संबोधन, जिसमें हमारी भूमि की नई ऊँचाइयों को छूने की अंतर्निहित क्षमता पर ज़ोर दिया.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत `राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विजयादशमी उत्सव 2025` के दौरान बोलते हैं. तस्वीर/पीटीआई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के वार्षिक विजयादशमी संबोधन की सराहना की. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस प्रमुख के संबोधन की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भागवत का संबोधन प्रेरणादायक था और इसने भारत की नई ऊँचाइयों को छूने की अंतर्निहित क्षमता को भी उजागर किया. सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर एक पोस्ट में, प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, "परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी का एक प्रेरक संबोधन, जिसमें राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के समृद्ध योगदान पर प्रकाश डाला गया और हमारी भूमि की नई ऊँचाइयों को छूने की अंतर्निहित क्षमता पर ज़ोर दिया गया, जिससे हमारे पूरे ग्रह को लाभ होगा."
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रिपोर्ट के मुताबिक अपने शुरुआती दिनों में, प्रधानमंत्री मोदी 1980 के दशक में भाजपा में शामिल होने से पहले आरएसएस के प्रचारक थे. इसके बाद मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले राज्य विधानसभा में विधायक बने. गुरुवार को नागपुर में अपने भाषण में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने कहा कि "हिंदू समाज की शक्ति और चरित्र एकता की गारंटी देते हैं, और समुदाय में `हम और वे` की अवधारणा कभी मौजूद नहीं रही."
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने स्वदेशी (स्वदेशी उत्पादों का उपयोग) और स्वावलंबन (आत्मनिर्भरता) की भी वकालत की और कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद अन्य देशों की स्थिति भारत के साथ उनकी मित्रता की प्रकृति और सीमा को दर्शाती है. रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी. आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, संघ गुरुवार को अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. कुछ लोगों से शुरू हुआ यह संगठन आज देश का सबसे व्यापक गैर-सरकारी संगठन बन गया है.
नागपुर के रेशमबाग मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक विजयादशमी रैली के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि "आरएसएस संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने उनके जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई." रिपोर्ट के मुताबिक रामनाथ कोविंद ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि, "मैं डॉ. आंबेडकर और डॉ. हेडगेवार के राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों से प्रेरित था. आरएसएस में कोई जातिवाद और भेदभाव नहीं है." पूर्व राष्ट्रपति ने आगे कहा कि आरएसएस संस्थापक के `विचारों` ने उन्हें समाज और राष्ट्र को स्पष्ट रूप से समझने में मदद की.
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