Updated on: 03 October, 2025 12:05 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
लद्दाख हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिए गए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी तत्काल रिहाई की मांग की.
X/Pics, Gitanjali J Angmo
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अपने पति की तत्काल रिहाई की मांग की है. वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुए विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था.
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सोनम वांगचुक राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं. उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों और हिरासत के फैसले को चुनौती देते हुए गीतांजलि ने वकील सर्वम ऋतम खरे के माध्यम से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. याचिका में यह भी दावा किया गया है कि हिरासत आदेश की प्रति उन्हें अभी तक नहीं मिली है, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है.
गीतांजलि ने आरोप लगाया कि उनके पति से कोई संपर्क नहीं हो पाया है और वांगचुक के स्वास्थ्य या हिरासत के कारणों की कोई जानकारी नहीं है. हाल ही में, लद्दाख प्रशासन ने वांगचुक के खिलाफ "जासूसी" और "धुआंधार" कार्रवाई के आरोपों को खारिज कर दिया था.
I have sought relief from the SUPREME COURT OF INDIA through a HABEAS CORPUS petition against @Wangchuk66’s detention.
— Gitanjali J Angmo (@GitanjaliAngmo) October 3, 2025
It is one week today. Still I have no information about Sonam Wangchuk’s health, the condition he is in nor the grounds of detention. pic.twitter.com/P4EPzO630A
सोशल मीडिया पोस्ट में गीतांजलि ने लिखा, "मैंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय से राहत मांगी है, फिर भी मुझे उनके स्वास्थ्य और हिरासत की वजहों की कोई जानकारी नहीं है." उन्होंने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद पुलिस ने नागरिकों पर अत्याचार किया, और वर्तमान स्थिति ब्रिटिश भारत के समय से भी बदतर है.
गीतांजलि ने आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और लद्दाख पुलिस ने छठी अनुसूची को लागू करने के प्रयासों को रोकने के लिए वांगचुक को निशाना बनाया है. उन्होंने कहा, "डीजीपी जो भी कह रहे हैं, उनका एजेंडा है. वे किसी को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं."
गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री, लद्दाख के उपराज्यपाल और लेह के उपायुक्त को भी ज्ञापन भेजकर अपने पति की रिहाई और न्याय की मांग की है.
24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की जान गई और लगभग 90 लोग घायल हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी, जो पुलिस के साथ झड़पों में बदल गई. वांगचुक के हिरासत में होने के बाद, लद्दाख प्रशासन पर गंभीर आरोप और आलोचना तेज़ हो गई है.
गीतांजलि अंगमो की सुप्रीम कोर्ट में याचिका इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान में लाने का प्रयास है और इसे लद्दाख में नागरिक अधिकारों और न्याय की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है.
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