Updated on: 06 June, 2025 09:32 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
यह दिन ऑपरेशन के दौरान मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. इस बीच, दल खालसा के कार्यकर्ता जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीरें पकड़े हुए देखे गए.
कट्टरपंथी संगठन के सदस्य जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीरें वाली तख्तियां थामे हुए हैं. तस्वीर/पीटीआई
ऑपरेशन ब्लूस्टार की 41वीं वर्षगांठ पर गुरुवार को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में कट्टरपंथी संगठनों के सदस्यों ने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार 6 जून को जब शिरोमणि अकाली दल (मान गुट) के नेता सिमरनजीत सिंह मान स्वर्ण मंदिर पहुंचे तो उन्होंने `खालिस्तान जिंदाबाद` के नारे लगाए. यह दिन ऑपरेशन के दौरान मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. इस बीच, दल खालसा के कार्यकर्ता मारे गए उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीरें और खालिस्तानी झंडे वाली तख्तियां पकड़े हुए देखे गए. ऑपरेशन ब्लूस्टार 1 जून से 10 जून, 1984 तक चला 10 दिवसीय सैन्य अभियान था. पवित्र स्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
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रिपोर्ट के मुताबिक अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे ने कहा, "...सरकार के पास आज तक इस बात का जवाब नहीं है कि सिखों के ऐसे पवित्र स्थान पर हमला क्यों किया गया. सिख अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे. उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ हमले की घोषणा नहीं की थी. फिर, बिना किसी नोटिस या चेतावनी के, हम पर हमला किया गया, जैसे दुश्मन देशों पर हमला किया जाता है... लोग आज सात समंदर पार जश्न मना रहे हैं. लोग देश भर में उन लोगों को श्रद्धांजलि देने आए हैं, जिन्होंने हमारे धर्म की खातिर, हमारे लिए अपनी जान कुर्बान कर दी."
विभाजनकारी नारों के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "ये नारे हमेशा से यहां और दुनिया भर में लगाए जाते रहे हैं. इसमें कुछ भी नया नहीं है." 6 जून, 1984 को वह दिन था, जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार के तहत, पंजाब में कट्टरपंथी संगठन दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में उग्रवाद को रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर स्वर्ण मंदिर में धावा बोला था. रिपोर्ट के अनुसार भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर परिसर में भारी मात्रा में हथियार छिपा रखे थे.
इस ऑपरेशन में भिंडरावाले और उसके हथियारबंद अनुयायी मारे गए. सैन्य कार्रवाई की कड़ी आलोचना की गई. महीनों बाद, 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर हत्या कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने पंजाब के फरीदकोट निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की.
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