Updated on: 01 August, 2025 03:50 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के नए भवन के उद्घाटन पर बोलते हुए, भागवत ने संस्कृत को समझने और उसमें बातचीत करने में अंतर बताया.
मोहन भागवत. चित्र/X
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को संस्कृत को संचार के माध्यम के रूप में बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और कहा कि यह भाषा सभी भारतीय भाषाओं का मूल है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, भागवत ने संस्कृत को समझने और उसमें बातचीत करने में अंतर बताया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को सरकारी सहायता तो मिलेगी, लेकिन जनभागीदारी भी उतनी ही आवश्यक है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
रिपोर्ट के मुताबिक आरएसएस प्रमुख ने कहा, "मैंने यह भाषा सीखी है, लेकिन मैं इसे धाराप्रवाह नहीं बोल पाता. संस्कृत को हर घर तक पहुँचाने की ज़रूरत है और इस भाषा में संवाद ज़रूरी है." भागवत ने आगे कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य पर व्यापक सहमति है, जिसके लिए बुद्धि और ज्ञान का विकास आवश्यक है. उन्होंने भाषा को भाव और पहचान की अभिव्यक्ति बताया.
उन्होंने कहा, "स्वत्व भौतिकवादी नहीं है, बल्कि व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है और यह भाषा के माध्यम से व्यक्त होता है. संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं का मूल है." उन्होंने आगे कहा कि संस्कृत को समझना देश को समझने के समान है. रिपोर्ट के अनुसार भागवत ने विश्वविद्यालय में अभिनव भारती अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक भवन का उद्घाटन किया.
इस बीच, 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की जाँच करने वाले महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था. रिपोर्ट के अनुसार सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर महिबूब मुजावर ने गुरुवार को आरोप लगाया कि इस आदेश का उद्देश्य यह स्थापित करना था कि "भगवा आतंकवाद" था, उन्होंने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सात आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की.
उन्होंने सोलापुर में बोलते हुए कहा कि अदालत के फैसले ने एटीएस द्वारा किए गए "फर्जी कामों" को रद्द कर दिया है. गौरतलब है कि शुरुआत में एटीएस ने मामले की जाँच की थी, लेकिन बाद में इसे राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने अपने हाथ में ले लिया. मुजावर ने एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम लेते हुए कहा, "इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जाँच का पर्दाफाश कर दिया है." रिपोर्ट के मुताबिक मुजावर ने कहा कि वह 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट की जाँच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा थे, जिसमें छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे. उन्होंने दावा किया कि उन्हें मोहन भागवत को "पकड़ने" के लिए कहा गया था.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT