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पलाढ़ी गांव में दंगा: कानून-व्यवस्था पर सवाल, एनसीपी ने फडणवीस सरकार को ठहराया जिम्मेदार

Updated on: 01 January, 2025 01:57 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

पलाढ़ी गांव में नए साल की रात भड़की हिंसा में 12-15 दुकानें और वाहन जलाए गए. शिवसेना मंत्री गुलाबराव पाटिल के ड्राइवर से जुड़े विवाद ने स्थिति को और बिगाड़ दिया, जिसके बाद गांव में कर्फ्यू लगाया गया.

X/Pics, Amol Matele

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महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पलाढ़ी गांव में नए साल की रात को हुई गंभीर घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़ा कर दिया है. एक विवाद के चलते हिंसा भड़क गई, जिसमें 12-15 दुकानें और कई वाहन जला दिए गए. शिवसेना मंत्री गुलाबराव पाटिल के ड्राइवर से जुड़े विवाद ने हालात को और गंभीर बना दिया. स्थिति को काबू में करने के लिए प्रशासन को गांव में कर्फ्यू लगाना पड़ा.

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता और मुंबई युवा अध्यक्ष एडवोकेट अमोल माटले ने इसे सरकार की असफलता करार दिया. उन्होंने कहा, "यह दंगा आम जनता की सुरक्षा के बजाय मंत्रियों की सत्ता के अहंकार के कारण हुआ. शासकों के गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने गांव में शांति भंग कर दी. अगर मंत्री खुद कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, तो आम लोग न्याय के लिए कहां जाएं?"


आम जनता को उठाना पड़ा नुकसान
माटले ने इस घटना में आम जनता के बड़े नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, "दंगों में जली दुकानों और वाहनों का मुआवजा कौन देगा? जिन परिवारों की रोजी-रोटी इस घटना में उजड़ गई है, उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? अगर मंत्री गुलाबराव पाटिल अपने ही जिले के प्रशासन को संभालने में असमर्थ हैं, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए."


एनसीपी की मांग: दोषियों पर सख्त कार्रवाई और मुआवजा
एनसीपी ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही, पीड़ितों को तत्काल मुआवजा दिया जाना चाहिए ताकि उनकी आजीविका फिर से बहाल हो सके. माटले ने शिवसेना कार्यकर्ताओं की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए कहा, "इस घटना में सरकार ने लोगों की रक्षा करने के बजाय उनके खिलाफ दमन का काम किया है. यह सत्ताधारियों की जनता के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है."

सरकार पर गंभीर आरोप
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया. एनसीपी के प्रवक्ता ने कहा, "लोगों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सरकार खुद अगर हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराई जाती है, तो यह राज्य के लिए शर्मनाक स्थिति है."


इस घटना ने न केवल गांव में अशांति फैलाई, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है. अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या एनसीपी की मांगों को पूरा किया जाता है.

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