Updated on: 20 August, 2025 04:48 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
टैरिफ लगाने के वाशिंगटन के फैसले और रूस से तेल आयात के संबंध में डाले जा रहे दबाव की तीखी आलोचना करते हुए, बाबुश्किन ने एकतरफा करार दिया.
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले साल रूस में मिले थे. फ़ाइल तस्वीर
नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास में प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने बुधवार को भारत-रूस संबंधों और अमेरिका द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद पर लगाए गए टैरिफ पर चर्चा के लिए एक प्रेस वार्ता आयोजित की. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार टैरिफ लगाने के वाशिंगटन के फैसले और रूस से तेल आयात के संबंध में नई दिल्ली पर डाले जा रहे दबाव की तीखी आलोचना करते हुए, बाबुश्किन ने इन उपायों को "अनुचित और एकतरफा" करार दिया. उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को रूस-भारत अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी) की सह-अध्यक्षता करने के लिए मास्को की यात्रा पर रवाना हुए.
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रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में प्रेस को संबोधित करते हुए, बाबुश्किन ने कहा, "अगर भारतीय वस्तुओं को अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो रूसी बाजार भारतीय निर्यात का स्वागत कर रहा है." भारत से रूसी तेल आयात कम करने के अमेरिका के बार-बार आह्वान के बारे में, बाबुश्किन ने कहा कि रूस तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता है.
उन्होंने कहा, "किसी भी तरह की एकतरफ़ा कार्रवाई से आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान, मूल्य निर्धारण नीतियों में असंतुलन और वैश्विक बाज़ारों में अस्थिरता पैदा होती है, जिससे विकासशील देशों की ऊर्जा सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाती है. मान लीजिए, अगर भारत रूसी तेल लेने से इनकार कर देता है, तो इससे पश्चिम के साथ समान सहयोग नहीं हो पाएगा क्योंकि यह पश्चिमी स्वभाव में नहीं है, जैसा कि हाल के वर्षों में दिखा है. वे नव-औपनिवेशिक शक्तियों की तरह व्यवहार करते हैं जो केवल अपने फ़ायदे के बारे में सोचते हैं. यह दबाव अनुचित और एकतरफ़ा है." रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी व्यापार सलाहकार द्वारा भारत से द्वितीयक शुल्कों से बचने के लिए रूसी तेल ख़रीदना बंद करने का आग्रह करने वाले बयान के बारे में पूछे जाने पर, बाबुश्किन ने विश्वास व्यक्त किया कि नई दिल्ली इस तरह के दबाव के आगे नहीं झुकेगी.
उन्होंने कहा, "अगर पश्चिम आपकी आलोचना करता है, तो इसका मतलब है कि आप सब कुछ सही कर रहे हैं... हमें ऐसा होने की उम्मीद नहीं है (भारत द्वारा रूसी तेल आयात रोकना). हम भारत के सामने मौजूद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को समझते हैं. यही वह सच्ची रणनीतिक साझेदारी है जिसका हम आनंद ले रहे हैं. चाहे कुछ भी हो जाए, चुनौतियों के बावजूद, हम किसी भी मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं... राष्ट्रपति पुतिन द्वारा प्रधानमंत्री मोदी जी को हाल ही में की गई फ़ोन कॉल, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के हालिया घटनाक्रमों के बारे में जानकारी साझा की, दर्शाती है कि भारत रूस के लिए बहुत मायने रखता है. हम आपसी संतुष्टि के लिए कोई भी समाधान निकालने में सक्षम हैं. हमारी साझेदारी का गहरा होना हमें साथ मिलकर आगे बढ़ने में मदद करेगा." रिपोर्ट के मुताबिक बाबुश्किन ने यह भी बताया कि प्रतिबंधों के मौजूदा मुद्दे के बावजूद, रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है. उन्होंने आगे कहा, "हम कई वर्षों से प्रतिबंधों की इस समस्या का सामना कर रहे हैं, लेकिन हमारा व्यापार बढ़ा है. हाल के वर्षों में, हमारा व्यापार सात गुना बढ़ गया है."
इस बीच, मॉस्को में, जयशंकर रूस-भारत आईआरआईजीसी की सह-अध्यक्षता कर रहे हैं, जो व्यापार, ऊर्जा, वित्त और रक्षा पर द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच है. बाबुश्किन ने जयशंकर की यात्रा के महत्व पर ज़ोर देते हुए आईआरआईजीसी को "रूसी-भारतीय सहयोग का मुख्य तंत्र" बताया. बाबुश्किन ने कहा, "वर्तमान में, विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर, 20 अगस्त को आईआरआईजीसी की सह-अध्यक्षता करने के लिए रूस में हैं. हमारी बैठक बहुत ही सामयिक है. हम अपने गणमान्य व्यक्तियों को उनकी चर्चाओं में सहयोग प्रदान कर रहे हैं. कल, डॉ. जयशंकर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे."
उन्होंने आईआरआईजीसी के महत्व पर भी ज़ोर दिया और कहा, "आईआरआईजीसी रूसी-भारतीय व्यावहारिक सहयोग का मुख्य तंत्र है. यह नेताओं के बीच संपर्क का आधार तैयार करता है. जैसा कि आप जानते होंगे, ऐसी खबरें हैं कि साल के अंत तक, नेता दिल्ली में मिलेंगे, हालाँकि अभी तक कोई तारीख घोषित नहीं की गई है." आईआरआईजीसी की बैठकें मॉस्को और नई दिल्ली के बीच बारी-बारी से होती हैं, और बाबुश्किन के अनुसार, इस वर्ष के एजेंडे में "व्यापार, निवेश, वित्तीय सहयोग, ऊर्जा सहयोग, परमाणु ऊर्जा, संस्कृति, बुनियादी ढाँचा आदि" शामिल होंगे. उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा, एक द्विपक्षीय व्यापार मंच का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसकी सह-मेजबानी मॉस्को सरकार की भारत के साथ सहयोग पर व्यापार परिषद और भारत के फिक्की द्वारा की जा रही है. भविष्य की संभावनाओं पर विचार करते हुए, बाबुश्किन ने कहा, "भविष्य की बैठकों में चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन भी शामिल है. ऐसी खबरें हैं कि हमारे नेता वहाँ भी मिलने की योजना बना रहे हैं. आगे प्रतिनिधिमंडलों का आदान-प्रदान बहुत तीव्र होगा". रूसी राजनयिक ने यह भी बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी, कश्मीर में आई विनाशकारी बाढ़ पर संवेदना व्यक्त की और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अपनी हालिया बातचीत का विवरण साझा किया.
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