Updated on: 26 March, 2025 03:44 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
गृह मंत्रालय की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्रीय मंत्री का मानना है कि इन नीतियों ने क्षेत्र में अलगाववादी आंदोलनों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह. फाइल फोटो
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद खत्म हो गया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने इस बदलाव का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की एकीकरण नीतियों को दिया. गृह मंत्रालय की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्रीय मंत्री का मानना है कि इन नीतियों ने क्षेत्र में अलगाववादी आंदोलनों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
रिपोर्ट के मुताबिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अमित शाह ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े दो संगठनों द्वारा अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने के हालिया फैसले का स्वागत किया. उन्होंने क्षेत्र के अन्य समूहों से भी इस उदाहरण का अनुसरण करने का आग्रह किया और देश में एकता और शांति को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया. शाह ने कहा, "कश्मीर में अलगाववाद इतिहास बन गया है."
एक्स पर एक पोस्ट में, अमित शाह ने लिखा, "मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों ने जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद को बाहर निकाल दिया है." यह बयान अलगाववादी भावनाओं से निपटने और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार के दृष्टिकोण में उनके विश्वास को दर्शाता है. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों की कार्रवाई की प्रशंसा की और उनके फैसले को भारत की एकता को मजबूत करने के प्रयास में एक महत्वपूर्ण क्षण बताया.
गृह मंत्री की टिप्पणी इन संगठनों की घोषणाओं के मद्देनजर आई है, जिन्हें जम्मू-कश्मीर में बदलते राजनीतिक परिदृश्य का संकेत माना जाता है. पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई उपाय लागू किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इसमें आतंकवाद विरोधी कानूनों का सख्त पालन और स्थानीय लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बनाए गए सामाजिक-आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है.
अमित शाह ने हाल के घटनाक्रमों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के दृष्टिकोण की एक बड़ी जीत बताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी और अधिक समूहों को अलगाववाद छोड़ने और देश की एकता में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेगी. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े दो संगठनों द्वारा जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद से नाता तोड़ने के अपने फैसले की घोषणा के तुरंत बाद उनकी प्रतिक्रिया आई. इस निर्णय को केंद्र शासित प्रदेश में बदलते राजनीतिक परिदृश्य का प्रतिबिंब माना जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई उपाय लागू किए हैं, जिनमें आतंकवाद विरोधी कानूनों का सख्त पालन और सामाजिक-आर्थिक सुधार शामिल हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT