Updated on: 02 September, 2024 08:01 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी विभव कुमार को आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर हमला मामले में जमानत दे दी.
विभव कुमार. फाइल फोटो/पीटीआई
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी विभव कुमार को आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर हमला मामले में जमानत दे दी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने निर्देश दिया कि कुमार को केजरीवाल के निजी सहायक के रूप में बहाल नहीं किया जाएगा या उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में कोई आधिकारिक कार्यभार नहीं दिया जाएगा.
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शीर्ष न्यायालय ने कुमार को सभी गवाहों की जांच होने तक मुख्यमंत्री के आवास में प्रवेश करने से भी रोक दिया. कुमार ने कथित तौर पर 13 मई को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर राज्यसभा सांसद मालीवाल पर हमला किया था. कुमार के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आपराधिक धमकी, महिला पर हमला या उसके कपड़े उतारने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग करना और गैर इरादतन हत्या का प्रयास करना शामिल है. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था.
उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोपी का "काफी प्रभाव" है और उसे राहत देने का कोई आधार नहीं बनाया गया है. इसने कहा था कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि यदि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. इस बीच, पिछले महीने, न्यायालय ने विभव कुमार की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के आवास पर आप सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के सिलसिले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा था, "याचिका खारिज की जाती है." वर्तमान में न्यायिक हिरासत में बंद कुमार ने 13 मई को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर स्वाति मालीवाल पर कथित हमला किया था.
उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था. कुमार ने अपनी याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन और कानून के शासनादेश के विरुद्ध घोषित करने का निर्देश देने की मांग की थी.
दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध किया था और कहा था कि कुमार को "जल्दबाजी में" गिरफ्तार नहीं किया गया था और उन्हें कानून के अनुसार हिरासत में लिया गया था.
कुमार के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक धमकी, हमला या आपराधिक बल का प्रयोग और गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास शामिल है. उनकी जमानत याचिका को पहले ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. आगे की जानकारी अपडेट की जाएगी.
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