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`महाराष्ट्र सरकार की गलत नीति से बच्चों का भविष्य खतरे में`, सुप्रिया सुले ने उठाया सवाल

Updated on: 22 June, 2025 02:29 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर तीखा हमला करते हुए सवाल उठाया कि हिंदी की अनिवार्यता और त्रिभाषी फॉर्मूला से छात्रों को क्यों नुकसान हो रहा है.

X/Pics, Supriya Sule

X/Pics, Supriya Sule

महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले को लेकर राज्य में गहरा विरोध बढ़ता जा रहा है. अब, इस मुद्दे पर शिवसेना की सांसद सुप्रिया सुले ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए सुप्रिया ने सवाल उठाया है कि `हिंदी की जिद` से छात्रों को नुकसान क्यों हो रहा है? उनका कहना है कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले से त्रिभाषी फॉर्मूला लागू किया है, जिससे मराठी भाषी जनता में असंतोष बढ़ गया है.

 



 


सुप्रिया सुले ने इस फैसले को छात्रों के भविष्य के लिए खतरनाक बताया. उनका कहना है कि सरकार ने यह फैसला बिना विचार किए लिया है और इसका असर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि त्रिभाषी फॉर्मूले को लागू करने के लिए शिक्षा में कार्य अनुभव, खेल और कला के घंटों को कम कर दिया गया है. ये घंटे छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहद जरूरी हैं, लेकिन सरकार ने बिना किसी ठोस कारण के इन्हें कम करने का कदम उठाया है.

सुप्रिया ने यह भी सवाल उठाया कि जब सरकार छात्रों के सर्वांगीण विकास की बात करती है, तो फिर इन जरूरी घंटों को क्यों घटाया गया? उनके अनुसार, यह कदम छात्रों के व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करेगा, क्योंकि खेल और कला के घंटे छात्रों की रचनात्मकता और शारीरिक विकास के लिए अहम होते हैं.

सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपील की कि वे इस मुद्दे पर पुनर्विचार करें. उन्होंने त्रिभाषी फॉर्मूला पर फिर से सोचने की बात की और यह भी कहा कि जनता की तीव्र भावनाओं को देखते हुए सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए.

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