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वंचित बहुजन आघाडी का बड़ा फैसला, आनंदराज आंबेडकर और रिपब्लिकन सेना को नहीं मिलेगा समर्थन

Updated on: 17 July, 2025 11:10 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

वंचित बहुजन आघाडी ने 16 जुलाई को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आनंदराज आंबेडकर और उनकी रिपब्लिकन सेना का समर्थन समाप्त कर दिया.

X/Pics, Vanchit Bahujan Aaghadi

X/Pics, Vanchit Bahujan Aaghadi

वंचित बहुजन आघाडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऍड. बाळासाहेब आंबेडकर की अध्यक्षता में आज, 16 जुलाई को पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मित्रपक्ष और महायुती के घटक दल शिवसेना एकनाथ शिंदे और रिपब्लिकन सेना के प्रमुख आनंदराज आंबेडकर के साथ युती की घोषणा को बेहद आलोचना की गई. आघाडी का कहना है कि यह एक अत्यंत दुर्दैवी और निषेध योग्य कदम है.

 



 


वंचित बहुजन आघाडी ने आरोप लगाया कि पिछले 70 सालों के राजनैतिक इतिहास में फुले, शाहू, आंबेडकरी आंदोलन ने कभी बीजेपी और आरएसएस के साथ कोई समझौता नहीं किया क्योंकि ये दोनों संगठन संविधान के खिलाफ और संतों के हिंदू धर्म को मानते हैं, जो फुले, शाहू और आंबेडकर की समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित विचारधारा के खिलाफ है.

आनंदराज आंबेडकर के बारे में वंचित बहुजन आघाडी का कहना है कि भले ही वह बाबासाहेब आंबेडकर के पोते हैं, लेकिन उनकी विचारधारा और कार्यशैली आरएसएस और बीजेपी के पक्ष में रही है, जो संविधान को बदलने की कोशिश करते हैं. इस कारण वंचित बहुजन आघाडी ने अब फैसला किया है कि वह आगे से आनंदराज आंबेडकर और उनकी रिपब्लिकन सेना का समर्थन नहीं करेंगे.

आघाडी ने यह भी स्पष्ट किया कि जो भी संगठन बीजेपी और आरएसएस के साथ समझौता करेंगे, वे फुले, शाहू, आंबेडकर के विचारों के पाईक नहीं हो सकते. वंचित बहुजन आघाडी ने फुले, शाहू, आंबेडकर के अनुयायियों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर अपना निर्णय संविधान के पक्ष में लें.

इस फैसले के बाद वंचित बहुजन आघाडी ने यह भी कहा कि आनंदराज आंबेडकर की सेना और उनकी विचारधारा के साथ अब उनका विरोध रहेगा. पार्टी ने तमाम फुले, शाहू, आंबेडकरी आंदोलन से जुड़े लोगों से यह आग्रह किया है कि वे संविधान के पक्ष में खड़े हों और अपनी विचारधारा को मजबूत करें.

 

 

यह बैठक वंचित बहुजन आघाडी के प्रमुख नेताओं ऍड. प्रकाश आंबेडकर, रेखाताई ठाकूर, ऍड. प्रियदर्शी तेलंग और अन्य कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति में हुई.

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