यह मुलाकात विधान परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे के कक्ष में हुई, जहां आधे घंटे तक चली इस बैठक में उद्धव ठाकरे के बेटे और वर्ली के विधायक आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे. (Pics: Shivsena Uddhav Balasaheb Thackeray)
यह मुलाकात महज एक सामान्य राजनीतिक बैठक नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति के भविष्य के बारे में गंभीर अटकलों का कारण बन गई है.
2019 में भाजपा से अलग होने के बाद, उद्धव ठाकरे और उनकी शिवसेना के बीच भाजपा से दूरियां बढ़ती गईं. लेकिन अब इस मुलाकात ने राजनैतिक हलचलों को और हवा दे दी है, खासकर मुख्यमंत्री फडणवीस के बयान के बाद. बुधवार को विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के विदाई समारोह में मुख्यमंत्री फडणवीस ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि भाजपा उद्धव ठाकरे को विपक्ष में शामिल होने का मौका नहीं दे सकती, लेकिन वह सत्ता पक्ष में आ सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा, "उद्धव जी, 2029 तक सरकार बदलने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन आपके पास यहाँ आने की गुंजाइश है, और इस पर विचार किया जा सकता है. हम इसके बारे में अलग तरह से सोच सकते हैं."
फडणवीस के इस बयान ने राज्य की राजनीति में खलबली मचाई है, खासकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के टूटने और भाजपा से हाथ मिलाने के बाद. 2022 में शिंदे की बगावत ने राज्य में नया राजनीतिक संकट पैदा किया था. अब, फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच यह मुलाकात राज्य की राजनीति के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती है.
क्या यह मुलाकात महाराष्ट्र की सत्ता में बड़ा बदलाव लाएगी? यह सवाल अगले कुछ महीनों में राज्य की राजनीति की दिशा तय करेगा.
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