Updated on: 10 October, 2025 06:29 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
लेकिन नोबेल समिति ने उनके सपने पर पानी फेर दिया है. नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को दिया है.
डोनाल्ड ट्रम्प (फ़ाइल फ़ोटो)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पुरस्कार के लिए अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं. लेकिन नोबेल समिति ने उनके सपने पर पानी फेर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल पुरस्कार के लिए अपनी दावेदारी पेश की है. लेकिन नोबेल समिति ने उनके सपने पर पानी फेर दिया है. इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है. मचाडो वेनेजुएला में एक विपक्षी नेता हैं और उन्होंने लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और अपने देश को तानाशाही से लोकतंत्र की ओर ले जाने के लिए अथक संघर्ष किया है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
ट्रंप के कई दावों और उनके समर्थकों के खुले समर्थन के बावजूद, समिति ने ट्रंप की बजाय मारिया को चुना. उनके नामांकन की घोषणा करते हुए, समिति ने कहा कि तानाशाही के अधीन वेनेजुएला जैसे देश में राजनीतिक कार्य कठिन है. मारिया ने तानाशाही के बावजूद लगातार निष्पक्ष चुनावों की मांग की है. नोबेल शांति पुरस्कार (स्वर्ण पदक) के साथ, मारिया को अब 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर और एक प्रमाण पत्र मिलेगा. ये पुरस्कार 10 दिसंबर को ओस्लो में प्रदान किए जाएँगे.
डोनाल्ड ट्रंप कई बार खुले तौर पर नोबेल शांति पुरस्कार की अपनी इच्छा ज़ाहिर कर चुके हैं. इज़राइल और पाकिस्तान जैसे देशों ने संयुक्त राष्ट्र में उनके लिए नोबेल पुरस्कार का अनुरोध किया था और कुल आठ देशों ने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया था. हालाँकि, नोबेल समिति ने ट्रंप के नामांकन पर विचार नहीं किया. नोबेल पुरस्कार की घोषणा से पहले ट्रंप ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की.
उन्होंने कहा, "मैंने आठ युद्ध रोके हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. अब वे (नोबेल समिति) जो करना है, करेंगे." ट्रंप यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने पूर्ववर्ती बराक ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने पर भी अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की. उन्होंने कहा कि बराक ओबामा ने देश को बर्बाद करने के अलावा कुछ नहीं किया है.
नॉर्वेजियन नोबेल समिति के नियमों के अनुसार, 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नामांकन की अंतिम तिथि 31 जनवरी, 2025 थी, जबकि ट्रंप ने 20 जनवरी, 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. नतीजतन, जिन नामांकनों को अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध रोकने का दावा करते हैं, वे समय सीमा के बाद किए गए थे. नियमों के अनुसार, समय सीमा के बाद नए नामांकन स्वीकार नहीं किए जाते. इस प्रकार, ट्रंप की दावेदारी पहले से ही कमज़ोर थी. विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल भले ही ट्रंप की दावेदारी कमज़ोर हो, लेकिन अगले साल इसके मज़बूत होने की संभावना है.
ADVERTISEMENT