Updated on: 01 October, 2025 07:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
इस कार्रवाई ने तहसील को मानवीय संकट में डाल दिया है क्योंकि संचार व्यवस्था ठप है.
तस्वीर/एएफपी
खुज़दार ज़िले के ज़ेहरी में भीषण सैन्य अभियान जारी है, जहाँ ड्रोन हमलों और लगातार गोलाबारी से हताहतों की ख़बरें आ रही हैं. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस कार्रवाई ने तहसील को मानवीय संकट में डाल दिया है क्योंकि संचार व्यवस्था ठप हो गई है और सड़कें अवरुद्ध होने से स्थिति की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो पा रही है.
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रिपोर्ट के मुताबिक ईंधन और खाद्य पदार्थों की कमी गंभीर होती जा रही है, तीन दिनों के पूर्ण लॉकडाउन के बाद पेट्रोल की आपूर्ति लगभग समाप्त हो गई है. द बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, कोचाव में, पाकिस्तानी सेना द्वारा लगातार की जा रही गोलाबारी ने कपास के खेतों को तबाह कर दिया है, जिससे स्थानीय किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. चश्मा में, तोपखाने और मोर्टार की गोलाबारी ने व्यापक भय पैदा कर दिया है, हालाँकि वहाँ अभी तक किसी के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है.
दंडार और मोरेन्की सहित आस-पास के गाँवों को भी भारी गोलाबारी का सामना करना पड़ा है. जबकि अधिकारी क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार आवासीय इमारतों को कथित तौर पर नुकसान पहुँचा है, हालांकि, ज़ेहरी में जारी इंटरनेट बंद होने के कारण, विश्वसनीय जानकारी बेहद सीमित है. यह अभियान बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) जैसे बलूच स्वतंत्रता समर्थक समूहों के विरुद्ध है.
इन संगठनों ने अगस्त में ज़ेहरी पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था और इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ मज़बूत कर ली थी. रिपोर्ट के मुताबिक हवाई ड्रोन, बख्तरबंद वाहनों और भारी तोपखाने की मदद से पाकिस्तानी सेना ने सशस्त्र समूहों से तहसील को वापस लेने के लिए अपना नवीनतम अभियान शुरू किया है. संचार लाइनें कट जाने और मानवीय पहुँच अवरुद्ध होने के कारण, नागरिक हताहतों और संपत्ति को हुए नुकसान की वास्तविक सीमा अज्ञात बनी हुई है. घटती आपूर्ति और बढ़ते भय की रिपोर्टें बताती हैं कि संघर्ष का सबसे ज़्यादा ख़ामियाज़ा आबादी को भुगतना पड़ रहा है, जैसा कि द बलूचिस्तान पोस्ट ने उद्धृत किया है. ज़ेहरी की स्थिति बलूचिस्तान में व्यापक अशांति को उजागर करती है, जहाँ स्थानीय प्रतिरोध समूह और पाकिस्तानी सेनाएँ टकराव के चक्र में फँसी हुई हैं. जैसे-जैसे ब्लैकआउट जारी है, लोगों की आवाज़ें ज़्यादातर अनसुनी रह रही हैं, जिससे चल रही सैन्य कार्रवाई की छाया में उनका भविष्य अनिश्चित बना हुआ है.
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