Updated on: 08 September, 2024 12:57 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
"कंतारा" की यह लोकप्रियता दर्शाती है कि यह फिल्म एक सांस्कृतिक आंदोलन का हिस्सा बन गई है, और इसके तत्वों को लोग अपनी परंपराओं और उत्सवों का हिस्सा बना रहे हैं.
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फिल्म "कंतारा" ने अपनी रिलीज़ के बाद से ही भारतीय सिनेमा में एक अनोखा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है. यह फिल्म सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल करने तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने दर्शकों के दिलों और समाज के सांस्कृतिक ताने-बाने में भी अपनी जगह बना ली है. फिल्म की कहानी, जिसमें स्थानीय आस्था, परंपराएँ और प्रकृति का अनूठा मेल दिखाया गया है, ने लोगों को गहरे तक प्रभावित किया. विशेष रूप से फिल्म में दिखाया गया पंजुरली दैव का पात्र अब एक पौराणिक प्रतीक बन गया है, जिसे लोग न केवल फिल्म से, बल्कि अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से भी जोड़ने लगे हैं.
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इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण गणेश चतुर्थी के दौरान देखा जा सकता है, जब देश भर के विभिन्न हिस्सों में गणपति की मूर्तियों के साथ पंजुरली दैव की मूर्तियों का भी स्वागत बड़े उत्साह से किया गया. कई स्थानों पर पंडालों को "कंतारा" की जंगल थीम पर सजाया गया, जो इस बात का प्रतीक है कि फिल्म ने आम जनमानस पर गहरी छाप छोड़ी है. पंडालों में गणपति के साथ पंजुरली दैव की तस्वीरें और मूर्तियाँ लगाई गईं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि "कंतारा" की कहानी ने धार्मिक और सांस्कृतिक धारा में अपना विशेष स्थान बना लिया है.
"कंतारा" की यह लोकप्रियता दर्शाती है कि यह फिल्म एक सांस्कृतिक आंदोलन का हिस्सा बन गई है, और इसके तत्वों को लोग अपनी परंपराओं और उत्सवों का हिस्सा बना रहे हैं. फिल्म ने न केवल दक्षिण भारतीय दर्शकों पर प्रभाव डाला, बल्कि देशभर में अपनी पहचान बनाई. पंजुरली दैव की पूजा और उनकी थीम पर आधारित सजावट इस बात का प्रमाण है कि "कंतारा" के प्रभाव से भारतीय समाज की पारंपरिक मान्यताएँ और मजबूत हुई हैं.
इसके साथ ही, दर्शक "कंतारा: चैप्टर 1" का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि फिल्म ने उनकी भावनाओं और उत्सुकता को इस कदर जकड़ लिया है कि वे इसके अगले अध्याय को देखने के लिए बेहद उत्साहित हैं. इस तरह "कंतारा" का जादू लंबे समय तक कायम रहने वाला है.
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